18 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आंखों के सामने गोली मार हुई थी हत्या, अब इंसाफ की उम्मीद में हो गये बूढ़ा

घर में सभी लोग सो रहे थे. आधी रात को मुख्य दरवाजे को तोड़कर डकैती करने के लिए डाकू घुसे. डाकुओं ने मुझे और मेरे भाई हीरालाल को बंदूक की नोक पर घेर लिया. इतने में आवाज सुनकर बाबू जी टॉर्च जलाकर दौड़े. आंख के सामने डाकुओं ने बाबूजी की गोलीमार कर हत्या कर दी.

सिधवलिया. घर में सभी लोग सो रहे थे. आधी रात को मुख्य दरवाजे को तोड़कर डकैती करने के लिए डाकू घुसे. डाकुओं ने मुझे और मेरे भाई हीरालाल को बंदूक की नोक पर घेर लिया. इतने में आवाज सुनकर बाबू जी टॉर्च जलाकर दौड़े. आंख के सामने डाकुओं ने बाबूजी की गोलीमार कर हत्या कर दी. यह कहते हुए झझवां गांव के गणेश साह फफक पड़ते हैं. गणेश साह ने बताया कि घटना के दिन आठ नवंबर 1988 को 34 वर्ष के थे. अब 69 वर्ष के हो गये. बाबूजी के हत्यारों को सजा मिले, इसके लिए पुलिस काे सहयोग करते रहे. कोर्ट में हर तारीख पर जाते रहे. अब तक 172 तारीख पर गये ताकि हत्यारों को सजा मिल जाये. जवानी केस लड़ने में गुजार दिया. कोर्ट में हमलोगों ने गवाही दिलवा दी. जांच करने वाली पुलिस व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की गवाही के कारण 30 वर्षों से इंसाफ अधर में रहा. शनिवार को एडीजे-10 मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट के द्वारा जब गंभीरता से लेकर डीजीपी को निर्देश दिया गया, तो अब इंसाफ की आस जगी है. परिजनों में छायी निराशा छंटी है. परिजनों को अब उम्मीद है कि उनको इंसाफ मिलेगा. पटना हाइकोर्ट ने इस कांड में तीन माह में केस का ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया था. उसके बाद बिहार पुलिस मुख्यालय (स्थापना एवं विधि प्रभाग) पत्रांक-1109 दिनांक-15 नवंबर 2022 डीआइजी ने पुलिस अधीक्षक को इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. बावजूद इसके कांड के आइओ व डॉक्टर प्रस्तुत नहीं किये गये. डकैती की वारदात में झझवां गांव के राजनाथ सिंह, मडई दास, गोपाल साह, लंगटू दास, मोहर दास एवं ज्ञानी दास पकड़ी व करसघाट के रहने वाले गोपाल साह अन्य अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. केस के ट्रायल के लंबित रहने के कारण चार अभियुक्त राजनाथ सिंह, लंगटू दास, ज्ञानी दास, मड़ई दास की मृत्यु हो चुकी है. अब गोपाल साह एवं मोहर दास जीवित हैं. सिधवलिया थाने के झझवां गंव तब बरौली थाना क्षेत्र में था. आठ नवंबर 1988 की रात में बृक्षा साह के घर का दरवाजा तोड़ कर डकैत रात के एक बजे हथियारों से लैस डकैत घर में घुस आये. घर में सो रहे गणेश साह व एनके भाई हीरालाल साह को अपने कब्जे में ले लिया था. यह देख उनके पिता बृक्षा साह ने जब टॉर्च जलाया, तो डकैतों को पहचान कर बोले कि ठहर जाओ आ रहे हैं. इतने में डकैतों ने उनके सीने में गोली मार दी, जिससे उनकी मौत मौके पर हो गयी थी. दूसरे दिन गणेश साह की तहरीर पर बरौली थाने में कांड संख्या- 195/1988 दर्ज हुआ.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें