गोपालगंज. आप सुनकर चौंक जायेंगे. पर बात सोलह आना सच है. हवाओं को भी दीये की दरकार है. उन दीयों की, जिसकी लौ उसकी मर्जी पर उठती-गिरती है, जिसे जब चाहे वह बुझा सकती है. जी हां, ये सच है. हवाओं को अपनी सेहत सुधारने के लिए नन्हे से दीये की दरकार होती है. सरसों के तेल के दीपक की मान्यता यह नन्हा-सा दीया है. सरसों के तेल का दीपक न केवल हवा की सेहत सुधारता है बल्कि पर्यावरण भी ठीक रखने में मदद करता है. यह महज धार्मिक मान्यता नहीं है, बल्कि मौसम विशेषज्ञ डॉ एसएन पांडेय का कहना है कि सरसों के तेल का दीया जलाना वैज्ञानिकता से भरपूर है. खासकर इस समय, जब हवा में सल्फर समेत विभिन्न रासायनिक तत्वों और गैसों की मात्रा बढ़ रही है. ऐसे में सरसों के तेल का दीया प्रदूषण से लड़ने में मददगार हो सकता है. दीपावली पर सरसों के तेल दीया जलाएं. केमिकल युक्त अन्य कृत्रिम साधन वातावरण में हानिकारक तत्व बढ़ायेंगे. दीपावली पर सरसों के तेल के दीपक से घर सजाना चाहिए. इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. विशेषज्ञ की जुबानी वैज्ञानिक कारण मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय बताते हैं कि सरसों के तेल में पाया जाने वाला मैग्नेशियम, लायलाय साइनाइड और ट्राइग्लिसराइड इसे बेहतर पर्यावरण मित्र बनाते हैं. सरसों के तेल में मौजूद मैग्नीशियम हवा में मौजूद सल्फर से रासायनिक क्रिया कर मैग्नीशियम सल्फेट बनाता है. यह यौगिक जमीन पर बैठ जाता है और हवा में सल्फर की मात्रा कम हो जाती है. इससे सांस लेना आसान हो जाता है. वहीं तेल में पाये जाने वाला लायलाय साइनाइड के जलने पर कीट-पतंगे आकर्षित होकर उसकी तरफ आते हैं और मर जाते हैं. वातावरण से प्रदूषण कम होने पर दवा में पैसे नहीं खर्च होते. मन से काम करते हैं. लाभ पाते हैं. यही लक्ष्मी का प्रसन्न होना है. वहीं वाराणसी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉ प्रवीण त्रिपाठी के अनुसार हवा में सल्फर के ऑक्साइड मानक से अधिक होने पर सांस संबंधी रोग की आशंका बढ़ जाती है. सल्फर सांस की नलियों में सूजन पैदा करता है, फेफड़ों की रक्त नलिकाओं के छिद्र बड़े हो जाते हैं और पानी जैसा रिसाव होने लगता है. इससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और दम फूलने लगता है. आंख में जलन होती है और पानी आने लगता है. दीपावली पर सांसों का संकट बढ़ सकता है. हवा में ‘जहर’ घुल रहा है. बीमार व बुजर्गों के लिए खतरा अधिक है. बुधवार को औसत एक्यूआइ 65 रहा. लेकिन, पीएम-2.5 रहा. डाना चक्रवात के पूर्व 26 अक्तूबर तक गोपालगंज जिले में सात दिन से शहरी क्षेत्र में एक्यूआइ 302 पर पर पहुंच चुका था. हवा में सांस लेने में घुटन हो रही थी.आंख और नाक में खुजली व गले में खराश और खांसी से लोग बेहाल थे. दीपावली में पटाखों की आतिशबाजी से हवा और खराब होगी. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुल कुमार ने बताया कि प्रदूषण से निबटने के लिए नप अपने स्तर से कार्य कर रहा है.
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