गोपालगंज. दीपावली का जश्न अब शहर के लोगों पर भारी पड़ रही है. अपने शहर की हवा में जहर घुल चुका है. जिले में सुबह से ही आसमान में धुंध की चादर छायी रही. दिन के 10 बजे के बाद धूप हुई, भी तो असरकारी नहीं थी. हवा की रफ्तार कम होने से परेशानी बढ़ी है. शनिवार को पुरवा हवा 5.3 किमी की रफ्तार से चली. गोपालगंज देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया. 24 घंटे में ही 100 से अधिक एक्यूआइ का उछाल आया है. सुबह में ही एक्यूआइ 225 पहुंच गया था, जो शाम होते-होते 269 तक दर्ज किया गया. मौसम विशेषज्ञ डॉ एसएन पांडेय के मुताबिक हवा की गुणवत्ता खराब होने की वजह शहर में हाइवे के निर्माण कार्य स्थल से उड़ रही धूल, त्योहार में ज्यादा गाड़ियों की आवाजाही और आतिशबाजी है. यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 269 दर्ज किया गया, जिसमें पीएम 2.5 का स्तर 97 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के हिसाब से खतरनाक है. तेजी से बढ़ रहे सांस के रोगी, अस्थमा के अटैक का खतरा : प्रदूषण का स्तर बढ़ने से सांस और हृदय रोगियों की दिक्कतें बढ़ गयी हैं. बीते कई दिनों से हवा खराब स्थिति में है. चिकित्सकों की सलाह है कि सांस रोगी, बुजुर्ग और बच्चों को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है. हवा में जहर फैलने के कारण बुखार, खांसी और आंखों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण मरीजों की संख्या में और वृद्धि होने की उम्मीद है. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ शशिरंजन प्रसाद ने बताया कि सांस की तकलीफ, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के बढ़ते मामलों को देख रहे हैं, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से ही सीओपीडी या अस्थमा है. बच्चे, बुजुर्ग और सांस की बीमारी वाले लोग खास तौर पर इसके शिकार हैं. दिवाली के बाद अस्पताल में करीब 20-25 सांस संबंधी मरीज पहुंच रहे हैं. कई लोगों को तो ऑक्सीजन के साथ नेबुलाइजर देना पड़ रहा है. पटाखा श्वसन स्वास्थ्य को कर रहा गंभीर रूप से प्रभावित : कमला राय कॉलेज के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो सतीश चंद्र शंकरम् ने कहा कि आतिशबाजी से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है, जो श्वसन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
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