गोपालगंज. जिले के कुचायकोट प्रखंड के करवतहीं गांव के युवा साहित्यकार सर्वेश तिवारी श्रीमुख का तीसरा उपन्यास पूर्णाहुति रिलीज होने के साथ ही दुनिया के कई देशों के छा गया है. सोशल मीडिया पर भी इस उपन्यास को लेकर धूम मच गयी है. यह गोपालगंज के लिए गर्व की बात है कि यहां की मिट्टी में पल्लवित और सुदूर गांव-देहात में पेड़ों की छांव व बांस की झुरमुटों के बीच बैठ कर लिखने वाला एक युवक अपनी कलम की जादूगरी से दुनिया के कई देशों में चर्चा का विषय बना हुआ है. रविवार की शाम केन्या के भारतीय दूतावास में हिंदी के विद्वानों ने सर्वेश तिवारी के उपन्यास पूर्णाहुति का कवर विमोचन किया. बीआइटी मेसरा, रांची व सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय जैसे देश के कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में भी पूर्णाहुति के कवर लांच को लेकर कार्यक्रम आयोजित किये गये. गोपालगंज जिले के कई शिक्षण संस्थानों में भी इसके कवर लांच को लेकर कार्यक्रम लगातार कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इन दिनों देश के चर्चित राष्ट्रवादी लेखकों में शुमार सर्वेश तिवारी श्रीमुख की यह पुस्तक चित्तौड़ के तीसरे जौहर पर आधारित है. यह चित्तौड़ के योद्धाओं के शौर्य और देवियों के जौहर की अनुपम दास्तान है. विद्वानों व पाठकों द्वारा इसकी खूब सराहना की जा रही है. इससे पूर्व भी सर्वेश तिवारी के दो उपन्यास परत व पुण्यपथ पूरे देश में चर्चा में रहे. ये दोनों उपन्यास बेस्ट सेलर भी रहे. परत व पुण्यपथ को विद्वानों व पाठकों ने काफी पसंद किया. इन दोनों पुस्तकों ने सर्वेश तिवारी को पूरे देश में पहचान दिलायी. तीसरे उपन्यास पुण्यपथ के विमोचन के साथ ही सर्वेश तिवारी श्रीमुख फिर पाठकों में चर्चा का विषय बन गये हैं.
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