गोपालगंज. राजेंद्र बस स्टैंड बस स्टैंड की जमीन का फर्जीवाड़ा कर जमाबंदी करने की जांच में तेजी आ गयी है. पुलिस की जांच का दायरा भी बढ़ेगा. पुलिस की ओर से कांड की विवेचना बारीकी से की जा रही है. पुलिस कप्तान अवधेश दीक्षित की ओर से किये गये केस के रिव्यू के दौरान कई बिंदुओं पर जांच के आदेश दिये गये हैं. इस केस में नामजद अभियुक्तों के अलावा भी एक बड़े रैकेट के शामिल होने की बात सामने आ रही है. उधर, नगर परिषद के ओर से करायी जा रही इंटरनल जांच में रजिस्ट्री कार्यालय के रजिस्टर में भी फ्रॉड करने का साक्ष्य मिला है. रजिस्ट्री कार्यालय की ओर से नगर परिषद को उपलब्ध कराये गये रजिस्टर की प्रति में स्पष्ट फ्रॉड सामने आया है. जादोपुर थाने के मसानथाना के रहने वाले मंगल राय पिता जंगी राय के द्वारा 11 नवंबर 1980 को सासामुसा के रहने वाले चंद्रमा दुबे के पुत्र अजय दुबे को 15 कट्ठा, नौ धूर जमीन लिखी गयी. लिखी गयी जमीन के रजिस्टर की प्रति में आगे-पीछे की लिखावट, हस्ताक्षर, तिथि दर्ज करने में भारी अंतर मिला है. आरोप है कि जिस प्रकार से सीओ के रजिस्टर-टू में फ्रॉड कर जमाबंदी का पेज लगाया गया था, उसी प्रकार यहां भी फ्रॉड हो गया है. वहीं दस्तावेज संख्या- 1487 दिनांक- 21 मई 1932 व दस्तावेज संख्या- 1558 दिनांक- 24 मई 1932 व दस्तावेज संख्या- 5787 दिनांक- 29 मई 1932 का दस्तावेज देने से इंकार करते हुए रजिस्ट्री कार्यालय की ओर से लिखा गया है कि सारण निबंधन कार्यालय से उपलब्ध कराये गये रेकॉर्ड में ये तीनों दस्तावेज संधारित नहीं पाये गये हैं. हाइकोर्ट में जमा कागजात में ही मिले साक्ष्य अजय दुबे की ओर से राजेंद्र नगर बस स्टैंड के जमीन पर अपना दावा ठोकते हुए पटना हाइकोर्ट में नगर थाना के दर्ज कांड नगर थाना कांड सं-673/24 को चुनौती दी गयी है. उसमें बस स्टैंड की जमीन को अपना होने का दावा किया है. उसमें लगाये गये भू-अर्जन कार्यालय की कॉपी में ब्यास सिंह चेयरमैन डिस्ट्रिक्ट बोर्ड, गोबिंद सिंह ढेबवा व बच्चा सिंह कोइनी की जमीन के अधिग्रहण के साथ ही बिहार सरकार की एक बिगहा, 11 कट्ठा, 11 धूर दर्ज है. ऐसे साक्ष्यों पर भी पर्दा डालने की कोशिश की गयी है.
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