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घर-घर में जन्मे कन्हैया, चारों ओर बजने लगीं बधाइयां

शहर के गलियारों तक हर तरफ तक कण-कण में श्रीराधे गोविंद की गूंज थी. छोटे-छोटे बच्चे कहीं कान्हा बने थे, तो कहीं पालने की व्यवस्था की गयी थी. कहीं वृंदावन की छटा बिखर रही थी, तो कहीं कन्हैया की रासलीला.

गोपालगंज. शहर के गलियारों तक हर तरफ तक कण-कण में श्रीराधे गोविंद की गूंज थी. छोटे-छोटे बच्चे कहीं कान्हा बने थे, तो कहीं पालने की व्यवस्था की गयी थी. कहीं वृंदावन की छटा बिखर रही थी, तो कहीं कन्हैया की रासलीला. मौका था कृष्ण जन्माष्टमी का. मठ-मंदिर और घरों में वंदनवार सजे हुए थे, घंटे और घड़ियाल की गूंज से आकाश गुंजायमान था, इन सबके बीच जैसे ही आधी रात हुई, लोगों का इंतजार खत्म हो गया. जन्माष्टमी को ज्यों ही रात के 12 बजे मंदिरों के पट खोले गये, ढोल, नगाड़े और शंख के साथ घंटे बजे उठे. रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही हर तरफ “नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की ” जैसे भक्तिमय गीतों से वातावरण गुंजायमान हो उठा. मंदिरों और घरों में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. जन्म के बाद भगवान को शहद, घी, गंगा जल से स्नान कराया गया. भगवान को भोग स्वरूप तुलसी की पत्ती, चरणामृत व 56 भोग भेंट की गयी. पूरा जिला गोविंद की भक्ति में रंगा रहा. कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर घरों से लेकर मठ-मंदिरों तक पूजा- अर्चना चलती रही. इस अवसर पर महिला, पुरुष और बच्चों में उत्साह चरम पर रहा. कहीं अनोखी झांकी की प्रस्तुति की गयी थी, तो कहीं रासलीला प्रस्तुत की गयी. कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भव्य पंडाल, जहां लोगों को आकर्षित करता रहा, वहीं शाम को हुई पूजा-अर्चना में भक्त तल्लीन रहे. सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र शहर के जादोपुर रोड स्थित दुर्गा मंदिर, हजियापुर रोड, स्थित राम जानकी मंदिर, हथुआ गोपाल मंदिर, थावे रेलवे स्टेशन, कटेया के गौरा मठ, घुर्णाकुंड, फुलवरिया के राधागंज मठ, बरौली के कोटवां में परंपरागत तरीके से मंदिर में बड़ी झांकी सजायी गयी, जिसे देखने के लिए लोग पहुंचते रहे. शाम छह बजे से ही झांकियों के दर्शन करने के लिए भीड़ जुटने लगी. भगवान की आरती उतारी. हर कोई भगवान श्रीकृष्ण के मनोहारी स्वरूप के दर्शन करना चाहता था. बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी झांकी देखने के लिए पहुंचे. मांझा के छवही में स्थित इस्कॉन मंदिर में पूरे दिन हरे कृष्ण हरे राम.. की गूंज ने इलाके को भक्तिमय बना दिया. यहां प्रभु श्रीकृष्ण जन्म को लेकर उत्सव का माहौल बना रहा. मुंबई से पहुंचे नवल किशोर गौरांग दास प्रभु जी, सुबाहू दास, प्रभु दास, मंदिर के अध्यक्ष अमित जी प्रभु, प्रधान पुजारी नारायण दास प्रभु, संकल्प प्रभु, इंदौर से बलदायिनी माता जी के नेतृत्व में संकीर्तन, पूजन व झांकी का आयोजन आकर्षण का केंद्र बना रहा. वहीं कुचायकोट के बंगरा मंदिर पर महंत दीनानाथ दास के नेतृत्व में अखंड अष्टयाम का आयोजन किया गया. सेमरा मठ पर जन्मोत्सव का आयोजन किया गया. मटका फोड़ कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र था. कान्हा के जन्म के अवसर पर लोगों की भक्ति परवान पर रही. अपने-अपने तरीके से लोगों ने कान्हा की भक्ति की. कान्हा की भक्ति में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सराबोर रहे. इस अवसर पर सोमवार को नर-नारी और बच्चों ने व्रत रखा. पूरे दिन श्रद्धालुओं ने उपवास रखा तथा कन्हैया के जन्म का इंतजार करते रहे. रात होते ही गांव में सोहर गीत की गूंज रही. हर तरफ युग- युग जीय हो ललनवां, भवनवां में भाग जागल हो, जैसे सोहर गीत गूंजते रहे. 12 बजे रात्रि में लोगों ने पूजा-अर्चना कर फलाहार किया.

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