गोपालगंज. वाल्मीकिनगर बराज से डिस्चार्ज में कमी आने के कारण गंडक का जल स्तर लगातार घट रहा है. पिछले आठ दिनों के बाद पतहरा में नदी खतरे के निशान से 20 सेमी नीचे आ गयी है. वहीं टंडसपुर में अभी 35 सेमी ऊपर बह रही है. नदी का जल स्तर घटने के साथ ही तटबंधों पर कटाव को लेकर जलसंसाधन विभाग हाइअलर्ट मोड में हैं. इंजीनियरों को बचाव को लेकर मुस्तैद रहने के लिए कहा गया है. बुधवार को वाल्मीकिनगर बराज से पानी का डिस्चार्ज पूरे दिन 1.25 लाख से 1.13 लाख क्यूसेक बना रहा. उधर, बाढ़ से घिरे निचले इलाके के गांवों में पानी के घटने के साथ ही तबाही कम नहीं हो रही. गांवों में से पानी के निकलने के बाद भी लोगों के घरों में कीचड़ व सड़ने के कारण बदबू आ रही है. लोगों का कहना है कि गांवों में अब ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव कराने की जरूरत है, जिससे लोगों में बीमारी फैलने से रोका जा सके. घरों से पानी निकलने के बाद गांवों को अभी घेरे हुए हैं. सदर प्रखंड के कटघटरवां, हीरापाकड़, मेहंदियां, रामपुर टेंगराही, बरइपट्टी, पतहरा, सेमराही, निरंजना, धूप सागर, धर्मपुर, भगवानपुर, रामनगर, मकसुदपुर कुचायकोट में सिपाया टोला वार्ड नं 7, भसही, मांझा प्रखंड के निमुइया, माघी, मगुरहां, भैंसही एवं पुरैना सिधवलिया के बंजरिया समेत जिले के 43 गांवों पानी से घिरा था. यहां के लोगों के चेहरे पर लाचारी व बेबसी झलक रही है. लोग घरों की सफाई करने में जुटे हुए है. गांवों में बच्चों के साथ छतों पर रहकर दिन बीता चुके ग्रामीण अभ्यस्त हैं. अपने घरों को छोड़कर नहीं निकल रहे हैं. अभी तीन माह तक बाढ़ को झेलने की हिम्मत भी रख रहे हैं. जिस प्रकार गांवों में तबाही का मंजर दिख रहा है, गांवों में अब स्वास्थ्य विभाग की टीम की जरूरत महसूस की जा रही है. गांवों में पानी कम हो गया. सड़कें भी अब दिखने लगीं. गांव में आने जाने के लिए अब भी नाव ही सहारा बनी हुई है. खेतों से पशुओं की चारा लाने के लिए नाव, तो सामान की खरीदारी के लिए भी नाव ही सहारा है. जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों को हाइ अलर्ट मोड में संवेदकों के साथ मुस्तैद रहने का आदेश दिया गया है. उधर मुख्य अभियंता संजय कुमार, बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह, कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार, जबकि पतहरा में सहायक अभियंता ऋषभ राज, टंडसपुर में विक्र, जबकि यूपी के अहिरौली दान में सहायक अभियंता एकता कुमारी कनीय अभियंता संगम कुमार पटेल दिनेश कुमार की टीम के अलावे बांध की निगरानी के लिए मानव बल को तैनात किया गया है. 24 घंटे निगरानी की जा रही है.
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