कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने की ठान लें और लगन सच्ची हो तो हर बाधा किनारा कर लेती है तथा परिस्थितियां भी अनुकूल हो जाती हैं. कुछ ऐसा हीं हुआ है बड़ा बढ़ेयां गांव के मुन्ना महतो के साथ. मुन्ना महतो बढ़ेया मोड़ पर पान की एक छोटी-सी दुकान चलाते हैं, सीमित आमदनी में परिवार का खर्च चल जाता है. मुन्ना महतो के दिमाग में बैठ गया कि बेटे दीपक को डॉक्टर बनाना है, तो रास्ते निकलते गये और बेटा दीपक रूस चला गया जहां किर्गिस्तान के कसमा मेडिकल काॅलेज से एमबीबीएस तथा एमडी की डिग्री हासिल कर घर लौटा. बेटे के पढ़ाई समाप्त कर घर लौट आने पर पूरा परिवार खुशी के मारे फूले नहीं समा रहा है और मिठाइयां बांटी जा रही हैं. डॉक्टर बनने की खुशी में जिप क्षेत्र संख्या 25 के जिप प्रतिनिधि मो फैज ने दीपक को मिठाई खिलायी तथा सम्मानित भी किया. दीपक का कहना था कि उसे डॉक्टर बनने की प्रेरणा बीबीसी स्कूल में ही मिली. स्कूल में हो रहे एक नाटक में उसे डॉक्टर का रोल मिला था. दीपक का नामांकन दादा ने अपने पैसे से कराया था. बाद में पिता विषम परिस्थिति में भी बेटे के लिए खर्च भेजते रहे और डॉक्टर बनाया. आज दादा तो नहीं हैं, लेकिन दीपक अपने डॉक्टर बनने का स्रेय दादा, गुरु मो फैज तथा पिता मुन्ना महतो को देता है.
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