Bihar News: बिहार में इन दिनों सर्पदंश से मौतों की संख्या बढ़ गई है. पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग जिलों से मौत की खबरें आ रही हैं. गोपालगंज में भी यही स्थिति है, यहां पिछले डेढ़ महीने में सांप के डसने से 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 24 घंटे में दो महिलाओं की मौत सांप के काटने से हुई है. दोनों मृतक महिलाओं की मौत सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाज के दौरान हुई. पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और परिजनों को सौंप दिया.
घर में काम करने के दौरान दोनों महिलाओं को सांप ने काटा
मृतक महिलाओं की पहचान बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के फतेहपुर निवासी सबलदेव राय की पत्नी राजमती देवी और सिधवलिया थाना क्षेत्र के सदौवा गांव निवासी मनोज दास की पत्नी इंदू देवी के रूप हुई. दोनों महिलाओं को घर में काम करने के दौरान सांप ने डस लिया था. हालत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां जहर पूरे शरीर में फैल जाने के कारण डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके.
अलग-अलग अस्पतालों में 12 मरीज भर्ती
डॉक्टरों ने बताया कि सांप काटने के बाद महिलाओं को काफी देर बाद इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था, जिसके कारण सांप का जहर पूरे शरीर में फैल गया था. महिलाओं की मौत के बाद उनके परिवार में कोहराम मच गया है. इन महिलाओं के अलावा 12 ऐसे मरीज हैं जिन्हें सांप काटने के बाद सदर अस्पताल समेत अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
डेढ़ महीने में 11 लोगों की मौत
पिछले डेढ़ महीने की रिपोर्ट पर नजर डाले तो सांप के डसने से जिले में 11 लोगों की मौत हो चुकी है. डॉक्टरों का कहना है कि मौसम ऊमस वाला है. ऐसे में जमीन के अंदर छिपे हुए सांप बाहर निकलते हैं और लोगों को डस लेते हैं. दूसरी बात यह भी है कि गंडक नदी के जरिये नेपाल के पहाड़ी सांप भी इलाके में पहुंचे हैं, जो लोगों को हर रोज अपना शिकार बना रहें हैं.
सर्पदंश के बाद क्या करें
- मजबूती से कपड़ा बांध दें
- मेगापेन, डेक्सोना, एविल का इंजेक्शन लगाकर तत्काल अस्पताल पहुंचे
- ओझा-गुनी व तांत्रिक के चक्कर में न पड़े
- सजगता से जान बचायी जा सकती है
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झाड़-फूंक के चक्कर में जाती है जान : डॉक्टर
सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी सह उपाधीक्षक डॉ. शशि रंजन प्रसाद के अनुसार, कुछ लोग अंधविश्वास के कारण सर्पदंश की घटना के बाद स्वास्थ्य केंद्र जाने के बजाय टोने-टोटके के चक्कर में पड़ जाते हैं. जब स्थिति बिगड़ जाती है, तो अस्पताल जाते हैं. तब तक जहर पूरे शरीर में फैल जाता है और पीड़ित को बचाना मुश्किल हो जाता है, जिससे पीड़ित की मौत हो जाती है.