बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं सांसद सुशील कुमार मोदी ने शराबबंदी कानून तोड़ने के आरोप में जेलों में बंद 25 हजार लोगों को रिहा किये जाने और इससे जुड़े 3.61 लाख मुकदमे वापस लेने की मांग राज्य सरकार से की है. भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में श्री मोदी ने कहा कि भाजपा के दबाव में अंततः मुख्यमंत्री को झुकना पड़ा. मुआवजे की घोषणा का पूरा श्रेय भाजपा को जाता है. ‘जो पियेगा, वह मरेगा’ जैसी टिप्पणी के लिए मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए.
पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अब तक 30 मामलों में 196 मृत्यु की बात स्वीकार कर रही है, जबकि भाजपा के अनुसार मरने वालों की संख्या पांच सौ से ज्यादा है. विलंब से मुआवजे की घोषणा किये जाने के चलते सरकार को ब्याज सहित परिजनों को इसका भुगतान करना चाहिए. सजा पाने वालों में 90% एससी/एसटी/इबीसी हैं.
उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून की धारा 42 में चार लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान है. इसी धारा में गंभीर रूप से बीमार को दो लाख रुपये तथा अन्य पीड़ित को 20 हजार रुपया का प्रावधान है. इसलिए जिनकी आंखें चली गयी या जहरीली शराब पीने से विकलांग हो गये, उन्हें भी दो लाख रुपया का मुआवजा मिलना चाहिए.
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राज्यसभा सांसद ने कहा कि मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया सरल की जाये. इसमें पोस्टमार्टम, चिकित्सा प्रमाण पत्र, शराब विक्रेता का नाम आदि जैसी शर्तें नहीं होनी चाहिए. सरकार को आम माफी का एलान कर सभी मुकदमे वापस लेना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले छह वर्षों में जहरीली शराब की घटनाओं के लिए दोषी एक भी माफिया को सजा नहीं मिली. 2016 में 19 मृत्यु के पश्चात सजा प्राप्त लोगों को पटना हाइकोर्ट ने मुक्त कर दिया. आजतक स्पेशल कोर्ट का गठन नहीं किया गया.