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गर्मी की मार से बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बेहाल दिख रहे हैं. बुधवार को तापमान 44 डिग्री सेल्सियस रहा. उसस वाली इस प्रचंड गर्मी में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे प्रभावित हो रहे हैं.

हाजीपुर. गर्मी की मार से बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बेहाल दिख रहे हैं. बुधवार को तापमान 44 डिग्री सेल्सियस रहा. उसस वाली इस प्रचंड गर्मी में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. गर्मी और उमस की वजह से बच्चे बेहोश हो जा रहे हैं. वहीं दोपहर के वक्त स्कूल की छूट्टी होने पर घर पहुंचने में बच्चों के चेहरे लाल हो जा रहे हैं. बुधवार को बिदुपुर और सहदेई में आधा दर्जन छात्र-छात्र भीषण गर्मी की वजह से बेहोश हो गये. सहदेई बुजुर्ग में छात्रा को इलाज के लिए पीएचसी में भर्ती कराना पड़ गया. मालूम हो कि तन को जला देने वाली इस प्रचंड गर्मी में भी जिले के सरकारी स्कूलों के साथ-साथ कई प्राइवेट स्कूल भी खुले हुए हैं. इन स्कूलों की छुट्टी दोपहर के वक्त होने से बच्चे प्रचंड गर्मी की चपेट में आ जा रहे हैं. प्रचंड गर्मी की वजह से घर जाने में छोटे बच्चे बिलबिला जाते है. धूप एवं गर्मी के कारण काफी संख्या में बच्चे बीमार भी पड़ रहे है. भीषण गर्मी के कारण जिले के कई विद्यालयों में पढ़ाई के दौरान ही वर्ग कक्ष में छात्रों के बेहोश होने, चक्कर आने, उल्टियां होने जैसी शिकायत भी मिल रही है. बच्चों के अभिभावक राज किशोर कुमार, संजय यादव, महेंद्र सिंह आदि ने बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के पहल पर बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार जरूर हुआ है लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य को अनदेखा किया जा रहा है. स्कूल का टाइम सुबह छह बजे से बारह बजे तक रखा गया है. दिन में भीषण गर्मी एवं चिलचिलाती धूप में बच्चों को घर लौटने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बच्चे घर पहुंचते ही बीमार पड़ जाते है. इसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ता है. बताया गया कि तीन दिन अगर बच्चे विद्यालय नहीं जाते है तो शिक्षक बच्चे का नाम काट देते है. जिसके डर से बच्चे हर हाल में विद्यालय जाने के लिए बेचैन रहते है.

विभागीय आदेश का पालन करना शिक्षकों की है मजबूरी

सरकारी विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि प्रचंड गर्मी में विद्यालय संचालन कराना शिक्षकों की मजबूरी है. विभागीय आदेश का पालन करना सभी शिक्षकों की ड्यूटी है. शिक्षक इस मामले में कुछ भी नहीं कह सकते है. बच्चे के बीमार पड़ने पर कई बार अभिभावकों के कोपभाजन का शिकार भी शिक्षकों को हाेना पड़ता है. भीषण गर्मी में दो पहर के समय बच्चों को विद्यालय से छुट्टी देने पर बच्चे कड़ी धूप में घर लौटते है. बच्चे के बीमार होने पर अभिभावकों से लिखित कारण लिया जाता है. ताकि बच्चों का नाम नहीं कट सके.

निजी विद्यालय के बच्चों का भी है वही हाल

सरकारी स्कूल के साथ निजी विद्यालय के संचालकों का भी वही हाल है. जिले के अधिकांश बड़े एवं छोटे विद्यालयों में बच्चों को दिन में दो पहर के समय छुट्टी दी जाती है. वाहनों से आने-जाने वाले बच्चे तो परेशानी से बच जाते है लेकिन पैदल एवं साइकिल से स्कूल आने-जाने वाले बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि जिले के कई क्षेत्रों में दर्जनों निजी विद्यालय संचालक भीषण गर्मी को देखते हुए गर्मी छुट्टी की घोषणा कर चुके है. लेकिन अधिकांश विद्यालयों का संचालन बे-धड़क किया जा रहा है.

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