महनार : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लड़ाई के बीच जिले में एइएस चमकी बुखार का खतरा भी मंडराने लगा है. इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयारी में जुटा है. लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों को भी इसकी रोकथाम, लक्षण व बचाव की जानकारी दी जा रही है. इसी कड़ी में महनार सामुदायिक अस्पताल में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर स्वास्थ्यकर्मियों को चमकी बुखार से निबटने के उपाय बताये गये. प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महनार सामुदायिक अस्पताल के चिकित्सक मनोरंजन सिंह ने कहा कि चमकी बुखार को जापानी इंसेफलाइटिस तथा मस्तिष्क ज्वर भी कहा जाता है. यह बीमारी एक से 14 साल तक की आयु के बच्चों में विशेष रूप से होती है. उन्होंने कहा कि यह बीमारी लीची वाले इलाके में अत्यधिक गर्मी तथा नमी में तेजी से फैलती है. इस मौसम में इस बात का विशेष ख्याल रखा जाये कि बच्चे रात्रि में लीची खाने के बाद शीघ्र न सोएं. सोने से पहले उन्हें भरपेट खाना खिलाना जरूरी है. इस बीमारी के लक्षण का पता चलते ही सबसे पहले उन्हें ओआरएस का घोल पिलाएं तथा नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र अथवा टॉल फ्री नंबर 104 पर शीघ्र संपर्क करें.
प्रशिक्षण कार्यक्रम में में आशा, एएनएम के अलावा आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिकाओं ने भाग लिया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में महनार अस्पताल के बीइइ मनोरंजन कुमार सिंह, बीसीएम गौतम कुमार, यूनिसेफ के बीएमसी संजीत कुमार, एलटी कुंदन कुमार ने सहयोग किया.क्या हैं चमकी बुखार के लक्षण- चमकी नाम की बीमारी में शुरुआत में तेज बुखार आता है.- इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है.- इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है.- इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है.- बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते हैं.- जबड़े और दांत कड़े हो जाते हैं.- बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है.- अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो मौत भी हो सकती है.
चमकी बुखार हो जाये तो क्या करें- बच्चों को पानी पिलाते रहे, इससे उन्हें हाइड्रेट रहने और बीमारियों से बचने में मदद मिलेगी.- तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें.- पंखे से हवा करें या माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगाएं, ताकि बुखार कम हो सके.- बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं उसकी गर्दन सीधी रखें.- बच्चों को पारासिटामोल की गोली व अन्य सीरप डॉक्टर की सलाह के बाद ही दें.- अगर बच्चे के मुंह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे सांस लेने में दिक्कत न हो.- बच्चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें.- तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंख को पट्टी से ढंक दें.- बेहोशी व दौरे आने की अवस्था में मरीज को हवादार जगह पर लिटाएं.- चमकी बुखार की स्थिति में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर डॉक्टर के पास ले जाएं.चमकी बीमारी के लक्षण दिखने पर क्या करें- सबसे पहले बच्चे को धूप में जाने से रोकें.- बच्चा तेज धूप के संपर्क में आया तो उसे डिहाइड्रेशन की समस्या होगी, जिससे बीमारी की गंभीरता बढ़ती है.- बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं.- गर्मी के समय बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं.- रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं.- चीनी-नमक का घोल, छाछ, शिकंजी के अलावा तरबूज, खरबूज, खीरे जैसी चीजों का खूब सेवन करें.