हाजीपुर
. आरएन कॉलेज, हाजीपुर के उर्दू विभाग ने आइक्यूएसी के सहयोग से समसामयिक समय में उर्दू भाषा और साहित्य का विकास : संभावनाएं और चुनौतियां, विषयक एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया. स्वागत भाषण में प्राचार्य प्रोफेसर रवि कुमार सिन्हा ने कहा कि उर्दू भाषा का जन्म और पोषण भारत में ही हुआ. इसने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में बहुमूल्य योगदान दिया है तथा हमारे बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक समाज में, उर्दू ने हमारे सांस्कृतिक ताने-बाने को अदब और तहजीब की सूक्ष्मताओं और बारीकियों से समृद्ध किया है. मिथिला विश्वविद्यालय में उर्दू के सेवानिवृत प्रोफेसर जनाब जफीरुद्दीन अंसारी ने कहा कि उर्दू ने “इंकलाब ” का नारा दिया, जिसने तेजी से लोकप्रियता हासिल की और भारत में ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया था. सेमिनार के मुख्य वक्ता कॉमर्स कॉलेज पटना में उर्दू के प्रोफेसर जनाब डॉ सफदर इमाम कादरी ने महाविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर तक छात्राओं की अधिक संख्या पर कहा कि यह एक तरक्की-परस्त कौम की पहचान है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन को उद्धृत किया कि प्रेम का पाठ शिक्षकों के माथे पर होना चाहिए, जिसका तात्पर्य है कि छात्रों या सिस्टम को दोष देने की बजाये, जो भी स्थिति मिलती है, उसी में शिक्षकों को ईमानदार प्रयास और रचनात्मकता के साथ शिक्षण शुरू करना चाहिए. लिखने और पढ़ने की परंपरा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि कॉलेज में दाखिला लेने वाले छात्रों को उर्दू भाषा की बुनियादी जानकारी देकर ही हम उर्दू भाषा के विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं. साहिर लुधियानवी की ””जश्ने गालिब”” की पंक्ति, गांधी हो कि गालिब हों, हम दोनों के कातिल हैं, के माध्यम से आज की राजनीतिक व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए डॉ कादरी ने भाषा की राजनीति से बचने की सलाह दी. सुखदेव मुखलाल कॉलेज में उर्दू के संकाय जनाब हसन रजा, जनाब मो अजीमुद्दीन अंसारी, डॉ तलत परवीन आदि ने भी अपनी बात रखी. कार्यक्रम का संचालन उर्दू विभागाध्यक्ष और सेमिनार के संयोजक डॉ आदिल रशीद ने किया. उर्दू विभाग के मोहम्मद अली, शाहरुख अफीफा, मोहम्मद सादिक, नाजिया परवीन, शाजिया, शमा ऐतल, सफिया परवीन आदि छात्र-छात्राओं ने स्वरचित उर्दू नज़्म और कविताएं पढ़ीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है