पार्षद के साथ-साथ पहली बार मेयर, उप मेयर (अध्यक्ष/उपाध्यक्ष) का चुनाव सीधे कराने की घोषणा के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी कवायद तेज कर दी है. जिस रफ्तार से चुनाव से पूर्व आयोग ने तैयारी शुरू की है, इससे तय हो गया है कि अब जल्द ही चुनावी तिथि की भी घोषणा हो जायेगी. हालांकि, चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों के लिए कई शर्तें आयोग ने तय की हैं. इन शर्तों पर खड़ा उतरना उम्मीदवारों के लिए मुश्किल होगा. आयोग के सचिव मुकेश कुमार सिन्हा ने इसको लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन जारी किया है. इसके तहत पार्षद, मुख्य व उप मुख्य पार्षद के लिए उम्मीदवारी उन्हीं की स्वीकृत होगी, जो नगर निगम का हर तरह का टैक्स चुकता कर निगम के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (नगर आयुक्त) से नो ड्यूज सर्टिफिकेट जमा करेंगे. यानी, शहरी क्षेत्र में निवास या व्यवसाय करते हैं. तब उन्हें होल्डिंग टैक्स के साथ यूजर चार्ज एवं ट्रेड लाइसेंस शुल्क जमा कर अद्यतन रसीद की छायाप्रति उम्मीदवारी के दौरान दस्तावेज में लगाना होगा. ऐसा नहीं करने पर बाद में अगर इसकी शिकायत आयोग को मिलेगी, तब बिना कारण बताओ नोटिस जारी किये उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दी जायेगी.
दो से ज्यादा संतान वाले की उम्मीदवारी नहीं होगी स्वीकृत
दो से ज्यादा संतान वाले व्यक्ति भी नगर निगम का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त उन्हें इसका भी शपथ पत्र देना होगा. हालांकि, आयोग की ओर से इसमें वैसे लोगों को छूट मिलेगी, जिनकी संतान का जन्म 04 अप्रैल 2008 से पहले हुआ है. 04 अप्रैल 2008 से पहले दो से ज्यादा संतान जन्म देने वाले व्यक्ति को छूट इसलिए प्रदान किया गया है कि एक्ट में संशोधन 2007 में किया गया है. एक्ट में संशोधन से एक साल के अंदर दो से ज्यादा संतान वाले को इससे बाहर रखा गया है.