Chandrayaan-3 : भारत का चंद्रयान-3 आज शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की धरती पर साॅफ्ट लैंडिंग करेगा. चंद्रयान-3 के मिशन को लेकर पूरे देश में गौरव और उत्साह का माहौल है और इस मिशन की सफलता के लिए दुआएं की जा रही हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी रहने वाले भारतीय इस ऐतिहासिक क्षण को लेकर उत्साहित हैं.
चंद्रयान-3 की सफलता और भारत के मून मिशन को लेकर राजनयिक और कवि अभय कुमार ने मून एंथम लिखा है. भारत का चंद्रयान 3 आज शाम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव यानी साउथ पोल पर साॅफ्ट लैंडिंग करेगा. न्यूज एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी है कि भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी और कवि अभय कुमार ने यह मून एंथम मेडागास्कर की राजधानी एंटानानारिवो में लिखा है.
अभय के द्वारा लिखे गये मून एंथम की कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं- ‘आकाशीय हीरा, प्राचीन घड़ी, ब्रह्मांडीय लैम्पपोस्ट, रात का कोमल चुंबन, लुभाने वाले महासागर, रहस्यमय सूर्य, चांदी की देवी, जो स्वर्ग को रोशन कर रही है…’ इस मून एंथम का संगीत प्रसिद्ध वायलिन वादक और संगीतकार डाॅ एल सुब्रमणयम तैयार करेंगे और प्रसिद्ध गायिका कविता कृष्णमूर्ति इस गीत को अपना स्वर देंगी.
ज्ञात हो कि राजनयिक एवं कवि अभय के सौर मंडल के सभी ग्रहों पर एंथम लिख चुके हैं. उनका ‘अर्थ एंथम’ काफी चर्चित हुआ था और अब तक इस गीत को 150 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. अभय कुमार बिहार के राजगीर के रहने वाले हैं. इनकी पहचान राजनयिक के रूप में तो है ही एक कवि के रूप में भी इन्हें बहुत ख्याति मिली है. चंद्रयान 3 की सफलता पूर्वक लैंडिंग के लिए इन्होंने शुभकामनाएं दी हैं और कहा है कि यह हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण है. उन्होंने कहा कि यह डेढ़ अरब भारतीयों के लिए एक सपना सच होने जैसा होगा. अभय कुमार की पहली पुस्तक जिसका शीर्षक रिवर वैली टू सिलिकॉन वैली है वो 2007 में प्रकाशित हुई थी. यह एक संस्मरण है. इनकी अबतक दर्जनों कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं.
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने 15 साल में तीन चंद्रयान चंद्रमा की ओर भेजे हैं. चंद्रयान 2 की साॅफ्ट लैंडिंग संभव नहीं हो पायी थी, हालांकि यह अभियान भी काफी हद तक सफल रहा था. चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्र अभियान था, इसका प्रक्षेपण 22 अक्टूबर, 2008 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से हुआ था.
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया, जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल था. देश के दूसरे चंद्र अभियान का उद्देश्य ऑर्बिटर पर पेलोड द्वारा वैज्ञानिक अध्ययन और चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग तथा घूर्णन की प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना था. चांद पर पहुंचने के अंतिम चरण में रोवर के साथ लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे चांद की सतह पर उतरने का उसका मकसद सफल नहीं हो पाया था.