प्रह्लाद कुमार , पटना
बिहार के 13 से अधिक जिलों में भूजल की मैपिंग होगी, जो आगामी 40 वर्ष को ध्यान में रख कर की जायेगी. इसमें उन जिलों के वैसे ब्लॉक को चिह्नित किया जायेगा. जहां पिछले कुछ वर्षों से भूजल में गिरावट हो रही है. इन इलाकों में तकनीकी सर्वे के लिए अधिकारियों की टीम होगी. साथ ही, आइआइटी पटना एवं कानपुर के छात्रों का भी सहयोग लिया जायेगा. इनकी रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार एक प्रस्ताव तैयार करेगी और उसके बाद जल- जीवन- हरियाली अभियान से जुड़े सभी विभागों के माध्यम से इन इलाकों में भूजल बढ़ाने के काम किया जायेगा. सर्वे मार्च से शुरू होकर मई तक होगा.
पीएचइडी अधिकारियों के मुताबिक जिन पंचायतों एवं ब्लॉक में भूजल का स्तर कम हर साल गिरता है. उन जिलों में पानी के सोत्र को खोजा जायेगा. साथ ही , गिरते भूजल की परेशानी से निबटने के लिए अधिकारी यह देखेंगे कि उन इलाकों में पानी संरक्षण के लिए क्या काम हुआ है.इन पंचायतों में हरियाली कैसी है.बारिश का पानी कहां से कहां निकल कर जाता है. इसके लिए भू- राजस्च विभाग का सहयोग लिया जायेगा. देखा जायेगा कि शुरू में यहां का किस रास्ते से निकलता था या फिर कहां-कहां यह पानी ठहरता था.
सर्वे के दौरान पीएचइडी अधिकारी निजी, सरकारी और कृषि बोरिंग की गिनती भी करेंगे, ताकि पानी की उपलब्धता और उसकी खपत की रिपोर्ट तैयार करेंगे. वहीं, बोारिंग के पानी का उपयोग करने में किस तरह की कार्रवाई होती है . इसको लेकर भी रिपोर्ट तैयार होगी. इस काम को करने के लिए शहरी क्षेत्र में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्रों में मुखिया को जिम्मेदारी दी जायेगी. वहीं, निजी बोरिंग करने के लिए एनओसी भी लेना होगा और इस संबंध में निगरानी की जिम्मेदारी सभी डीएम को सौंपी जायेगी.
इन जिलों से होगी मैपिंग की शुरुआत
जहानाबाद, गया, औरंगाबाद, शेखपुरा, नवादा, मुंगेर, लखीसराय, भागलपुर, बांका,जमुई , नालंदा, पटना, दरभंगा में वाटर मैपिंग की जायेगी. यहां रिपोर्ट तैयार होने के बाद अन्य जिलों में मैपिंग का काम होगा.
अधिकारी गांव के लोगों से मिलेंगे
सर्वे के दौरान अधिकारी गांव के लोगों से मिलेंगे. गांव के बारे में उनसे जानकारी लेंगे और उनके यहां पानी का स्रोत क्या है. उसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे. रिपोर्ट के आधार पर ही इन जिलों में भूजल के स्तर को दुरुस्त करने का काम होगा. इसके लिए जल्द ही अधिकारियों की टीम बनायी जायेगी.