कौशिक रंजन, पटना. आयकर विभाग (आइटी) बेनामी संपत्ति के मामलों में बड़ी कार्रवाई की तैयारी में जुटा है. जल्द ही बिहार में कुछ बड़े लोगों पर आइटी की कार्रवाई होने जा रही है. वर्तमान में 50 ऐसे लोग हैं, जिनकी बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत जांच चल रही है. इसमें व्यवसायियों के अलावा राज्य सरकार के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं.
अधिकारियों की फेहरिस्त में जिला स्तरीय कुछ पदाधिकारी हैं. इस बार बेनामी संपत्ति एक्ट के अंतर्गत होने वाली विशेष कार्रवाई में कुछ अधिकारियों की संपत्ति जब्त हो सकती है. अगर इन पर कार्रवाई होती है, तो बिहार में इस तरह का यह पहला मामला होगा, जिसमें किसी पदाधिकारी पर इस एक्ट के तहत कार्रवाई की जायेगी.
कुछ लोगों ने अपने दूर के रिश्तेदारों के नाम भी संपत्ति लेकर अपनी ब्लैकमनी को व्हाइट करने की जुगत लगायी है. बेनामी संपत्ति जमा करने वालों ने अपने घरेलू नौकर, ड्राइवर या खाना बनाने वाले सहायकों के नाम पर करोड़ों की अवैध संपत्ति खरीद रखी है. ये संपत्तियां पटना के अलावा राज्य के अन्य शहरों तथा दूसरे राज्यों में भी मौजूद हैं. इनमें तो कुछ लोगों ने अपनी काली कमाई की बदौलत करीब आधा दर्जन से ज्यादा संपत्ति नौकरों के नाम पर खरीद रखी है.
कई मामलों में तो यह भी देखने को मिला कि इन नौकरों या सहायकों को इस बारे में कोई जानकारी तक नहीं है. इससे जुड़े सभी मामलों में कई पहलुओं के आधार पर जांच की जा रही है. यह भी पाया गया है कि ज्यादातर बेनामी संपत्ति अचल रूप में ही मौजूद है. यानी जमीन के प्लॉट, फ्लैट या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में स्थित दुकानों के रूप में मौजूद हैं. साथ ही इन्होंने कितने वर्षों में कितनी और किस तरह की संपत्तियां खरीदी हैं.
आयकर विभाग ने 2016 में संशोधन के बाद आये इस बेनामी कानून के तहत कई लोगों पर कार्रवाई की है. इसमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्य के अलावा बोधगया में किट्टी नोआमी, पटना में मौजूद अवामी लीग बैंक के अनवर अहमद और उनके बेटे की मदर इंटरनेशनल स्कूल समेत अन्य संपत्ति तथा भावेश कॉमोडिटी समेत कुछ अन्य बेहद चर्चित मामले शामिल हैं. इन लोगों की करोड़ों की बेनामी संपत्ति जब्त की जा चुकी है.
अब तक बिहार में करीब एक दर्जन मामलों पर बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत मामला दर्ज करके कार्रवाई हो चुकी है. इस एक्ट में पहले प्रोविजनल (तत्कालिक) तौर पर संपत्ति की जब्ती होती है. इसके बाद इसके लिए निर्धारित विशेष कोर्ट से सुनवाई पूरी होने के बाद इसे पूरी तरह से जब्त कर ली जाती है. इसका फैसला अमूमन तीन-चार महीना में आ जाता है.
Posted by Ashish Jha