24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार की इन महिलाओं का देश की आजादी में रहा अप्रतिम योगदान, संघर्षमय रही इनकी जिंदगी

Independence Day 2024: भारत को आजाद हुए 77 वर्ष पूरे हो गए हैं. भारत की आजादी में पुरुषों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया तो महिलाएं भी अपना योगदान देने में पीछे नहीं रही. ऐसे ही बिहार की महिलाओं ने भी अपने देश की आजादी के लिए योगदान दिया है.

Independence Day 2024: भारत को आजाद हुए 77 वर्ष पूरे हो गए हैं. भारत की आजादी में पुरुषों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया तो महिलाएं भी अपना योगदान देने में पीछे नहीं रही. ऐसे ही बिहार की महिलाओं ने भी अपने देश की आजादी के लिए योगदान दिया है. आजादी की लड़ाई में महिला स्वतंत्रता सेनानी प्रभावती देवी और तारा रानी श्रीवास्तव का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. आपको बता दें प्रभावती देवी जय प्रकाश नारायण की पत्नी थी.

प्रभावती देवी का योगदान

प्रभावती देवी का विवाह 16 मई 1920 को जय प्रकाश नारायण से हुआ था. जिसके बाद जय प्रकाश ने प्रभावती देवी को चरखा से बुनाई सीखने की सलाह दी. दंपति ने संयुक्त रूप से फैसला किया थी कि जब तक भारत अंग्रेजों से मुक्त नहीं हो जाता, तब तक वे कोई संतान नहीं करेंगे. 1932 में विदेशी सामानों के बहिष्कार के आह्वान के दौरान उन्हें लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें गांधी जी और राजेंद्र प्रसाद द्वारा बालिका स्वयंसेवकों को संगठित करने का काम सौंपा गया था. प्रभावती ने गांधीवादी मॉडल पर चरखे या चरखा आंदोलन में महिलाओं को शामिल करने के लिए पटना में महिला चरखा समिति की स्थापना की जब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया और भागलपुर जेल भेज दिया गया. 15 अप्रैल 1973 को उनकी उन्नत कैंसर के कारण मृत्यु हो गई.

आजादी की लड़ाई में तारा रानी का योगदान

तारा रानी श्रीवास्तव का जन्म बिहार के सारण में एक साधारण परिवार में हुआ था और उनकी शादी फूलेंदु बाबू से हुई थी. वह अपने गांव और उसके आसपास महिलाओं को संगठित करती थी और अपने पति के साथ औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विरोध मार्च निकालती थी. वे 1942 में गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए, विरोध को नियंत्रित किया, और सीवान पुलिस स्टेशन की छत पर भारतीय ध्वज फहराने की योजना बनाई. वे भीड़ इकट्ठा करने में कामयाब रहे और ‘इंकलाब’ के नारे लगाते हुए सीवान पुलिस स्टेशन की ओर मार्च शुरू किया.

Also Read: बिहार की इन वीरांगनाओं ने आजादी के लिए किया खुद को समर्पित

जब सभी लोग पुलिस स्टेशन की ओर मार्च कर रहे थे, तो पुलिस ने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया. जब विरोध पर काबू नहीं पाया जा सका तो पुलिस ने फायरिंग कर दी. जिसमें की फुलेंदु बाबू को गोली लगी और वे जमीन पर गिर गए लेकिन फिर भी निडर, तारा ने अपनी साड़ी की मदद से उसे बांध दिया और भारतीय झंडा पकड़े हुए ‘इंकलाब’ के नारे लगाते हुए भीड़ को स्टेशन की ओर ले जाती रही. तारा देवी के वापस आने पर उनके पति की मृत्यु हो गई थी. लेकिन उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन करना जारी रखा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें