Neon Art Exhibition: पटना के ललित कला अकादमी में कला संस्कृति एवं युवा विभाग के सहयोग से ला पिंटुरा संस्था की ओर से 5 दिनों तक चलने वाली भारत की पहली नियॉन कला प्रदर्शनी निओफोरिया की शुरुआत हो चुकी है. ला पिंटुरा की निदेशक अंकिता बताती हैं कि उन्हें नियोन पेंटिंग में रुची थी इसी वजह से उन्होंने इस पर जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया.
सोशल मीडिया पर यह काफी ट्रेंडिंग और इसका एग्जीबिशन विदेश में लगायी जाती है. भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ था. बस तय किया कि अब इस आर्ट की प्रदर्शनी लगानी है और लोगों को इसके बारे में बताना है. इसमें कला संस्कृति एवं युवा विभाग का सहयोग मिला. यहां कैनवास पर नियोन पेंटिंग के साथ स्क्रैप यानी की बेकार पड़े सामानों का उपयोग किया गया है.
तीन महीने में तैयार की पेंटिंग और लगायी प्रदर्शनी
अंकिता आगे बताती है कि इस प्रदर्शनी को लेकर तीन महीने पहले ही इसकी शुरुआत की. हमारे साथ पटना और बाहर के 15 कलाकार जुड़े और उन्होंने 50 से ज्यादा नियोन पेंटिंग और 8 स्क्रेप से बने आर्ट इंस्टॉलेशन किया. यह सभी 15 आर्टिस्ट आर्ट फिल्ड से नहीं है कोई इंजीनियरिंग कर रहा है तो कोई कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई.
बेकार पड़े कबाड़ और खिलौने से 8 आर्ट इंस्टॉलेशन तैयार किया गया है जो अपने आप में एक कहानी है. वहीं पेंटिंग में ट्रेडिशनल आर्ट, एब्सट्रकेट आर्ट, पॉप कल्चर, ड्रीम आदि का कॉन्सेप्ट है. पल्लवी, कौशिक, विशेष, जीवित, वेदिका,हिमांशु, ऋतिक, शेफाली, रश्मि, राज, आदित्य, ऋतु, अमृता, शाम्भवी और अंकिता राज हैं.
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‘नियोफोरिया’ में कला प्रदर्शनी लगाने वाले कलाकारों ने कहा-
12वीं से मेरा लगाव पेंटिंग से हुआ. अभी मैं कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रही हूं लेकिन पेंटिंग के बिना मैं अधूरी हूं. यहीं वजह है कि जब मुझे इस प्रदर्शनी के बारे में पता चला तो इसका हिस्सा बनी. मैंने वेस्ट से चाइनीज ड्रेगन तैयार किया है. इसके लिए कार्डबोर्ड, न्यूजपेपर और बेकार पड़े आयरन की चीजों का इस्तेमाल किया है.
– वेदिका शर्मा, वनस्थली विद्यापीठ
मैं आर्ट की पढ़ाई कर रही हूं. कबाड़ में पड़ी चीजों को रियूज कर डेकोरेटिव आइटम में बदलना अच्छा लगता है. मैंने बेकार पड़े अंब्रेला और नियोन पेंट की मदद से जेली फिश का आकार बनाया है. इसे बनाने में 3 दिनों का वक्त लगा.
– पल्लवी ठाकुर, कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट
यहां बनाये गये सभी तस्वीरें नियोन आर्ट के है और सभी अपने आप में खास है. मैंने द्रोपदी के चिरहरण दिखाया जिसमें भगवान विष्णु उनकी मदद कर रहे हैं. अर्ली इरोपियन आर्ट भी है. पाकीजा फिल्म की तस्वीर और भगवान की तस्वीरे है. यह सभी कहीं ना कहीं हमारी जिंदगी में अहम है.
– कुमार कौशिक, कलाकार
मैं 12वीं कक्षा का छात्र हूं. ला पिंटुरा टीम ने मुझे इस प्रदर्शनी में मैंने अपने अब तक के सफर को दर्शाने की कोशिश की है. मेरी पेंटिंग की सीरीज का नाम कटाक्ष है जिसमें काया और कल्पना इसका प्रारूप है. सेल्फ लव, केयर और एंगजाइटी इनमें दिखायी गयी है.
– हिमांशु कश्यप, कलाकार