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श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से संस्कारों में होता है अद्वितीय परिवर्तन : व्यास आचार्य सौदागर जी शास्त्री

सेवा पंडित टोला में आयोजित हुए इस आठ दिवसीय भागवत कथा से लोग सद्कर्म व सनातन धर्म संस्कृति के संस्कारों को अपने जीवन में आत्मसात कर रहे हैं.

गिद्धौर. प्रखंड क्षेत्र के सेवा पंचायत अंतर्गत निचली सेवा पंडित टोला निवासी बासुदेव पंडित व उनकी धर्मपत्नी सरस्वती देवी के सौजन्य से परिवार व समाज कल्याण की भावना के साथ आठ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करवाया गया है. सेवा पंडित टोला में आयोजित हुए इस आठ दिवसीय भागवत कथा से लोग सद्कर्म व सनातन धर्म संस्कृति के संस्कारों को अपने जीवन में आत्मसात कर रहे हैं. इस भागवत कथा के अवसर पर अयोध्या धाम से सेवा गांव आये कथा व्यास सौदागर जी शास्त्री द्वारा कथा के कई महत्वपूर्ण पहलुओं से भक्तों को अवगत कराते हुए उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे रहे हैं. वहीं इस श्रीमद भागवत कथा में कृष्ण जन्मोत्सव बाल लीला कृष्ण सुदामा मित्रता प्रसंग सहित अन्य भक्ति संवाद का श्रवण कर भक्ति भाव से विभोर हो रहे हैं.

कथा के दौरान आचार्य सौदागर जी शास्त्री महाराज ने कहा कि भगवान के साथ सच्ची मित्रता निभाने से भगवान उस आत्मा की सर्व मनोकामनाएं पूर्ण कर देता है. इसके लिये मनुष्य को मन के अंदर के विकारों का त्याग करना परम आवश्यक है. उन्होंने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत कथा हमें काम, क्रोध, लोभ मोह, अहंकार आदि मानवीय विकृतियों से परे सुख शांति समृद्धि, सहयोग एवं सद्कर्म के मार्ग पर चलने के लिए तठस्थ करता है. जब तक मनुष्य आत्मीय विकारों की पोटली भगवान को सौंपते नही हैं, तब तक परमात्मा भी हमें संपन्न और संपूर्ण नहीं बना सकते हैं. इसलिए भगवान कहते हैं अपने अंदर के विकारों का त्याग करो तुम्हारे अंदर देवत्व स्वतः जागृत हो जायेगा. उन्होंने आगे कहा कि श्रीमद्भगवत कथा के सार में भगवान का हाथ और साथ हमेशा छिपा है. हमेशा यही समझें कि भगवान का वरद हाथ हमारे सिर पर है. उन्होंने कहा कि भगवान आपके हाथों में बल बढ़ाता है आपके पांव में बल भरता है, आपकी बुद्धि में दिव्यता का संचार करता है, ताकि ईश्वरीय ज्ञान से आप अपने कर्म को श्रेष्ठ और मानव रूपी शरीर में लिए जन्म के अस्तित्व एवं महत्व को समझ सके.

भक्ति के बिना जीवन अधूरा : श्रीअनादि जी महाराज

चकाई. मानव जीवन में जब तक भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तीनों बराबर नहीं होता है तब तक मानव जीवन अधूरा है. उक्त बातें चकाई प्रखंड के पेटरपहाड़ी पंचायत के उरवा गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन से आये कथावाचक श्रीअनादि जी महराज ने कही. उन्होंने कहा कि महान पापी धुंधकारी भी श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कर भगवान के धाम को प्राप्त कर लिये.

साथ ही बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की बुआ कुंती 26 श्लोकों की स्तुति में कहती हैं कि भगवान आप हमारे समस्त दुःख में साथ रहा करते थे. सुख आने बाद हमें छोड़ कर जा रहे हैं. यदि सुख से आप दूर चले जाते हैं तो आप हमें दुःख प्रदान कीजिए क्योंकि दुःख में आपकी याद ज्यादा आती है. अंत में यजमान परिवार ने दिव्य आरती और प्रसाद वितरण किया गया. कथा के यजमान सुभाष राय एवं उनकी पत्नी हैं. मौके पर सुभाष राय, सहदेव राय, सुखदेव राय, सुरेश चौधरी,विजय कुमार सिन्हा, मनोज सिंह, हरिशंकर चौधरी, राजेश राय, तारनी चौधरी, दीपक राय, मिथलेश राय, प्रमोद राय, रोहित राय, पंचानंद राय, पप्पू राय, देवानंद राय, प्रवानंद राय के साथ-साथ काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.

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