Jamui News : राहुल सिंह, जमुई. रसोईघर में भोजन बनाने के लिए एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें लिक्विड पेट्रोलियम गैस भरा होता है, जो अत्यंत ज्वलनशील है. इसका इस्तेमाल केवल रसोई में ही किया जाना होता है. यही कारण है कि एलपीजी के व्यावसायिक इस्तेमाल पर भी रोक लगायी गयी है. व्यावसायिक इस्तेमाल को लेकर एलपीजी के अलग सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है. लेकिन जमुई जिले में नियमों को ताक पर रखकर वाहनों का परिचालन हो रहा है. या यूं कह लें कि बीच सड़क पर वाहन चालक मौत का सामान लेकर घूम रहे हैं. दरअसल जमुई जिले में कई गाड़ियां एलपीजी सिलेंडर के जरिये चलायी जा रही हैं. एक तरफ जहां डीजल व पेट्रोलियम के बाद सीएनजी गाड़ियों का परिचालन होना शुरू हो गया है, वहीं दूसरी तरफ जमुई जिले में इन सब से हटकर एलपीजी के माध्यम से गाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है.
कभी भी बन सकता है खतरे का कारण
बताते चलें कि एलपीजी अत्यंत ज्वलनशील होता है तथा इसके सिलेंडर के इस्तेमाल से गाड़ियां चलाना खतरे से खाली नहीं है. किसी भी वक्त बड़े हादसे का खतरा बना रहता है. गौरतलब है कि अनधिकृत रूप से एलपीजी सिलेंडर से गाड़ियों के परिचालन से अक्सर कार बर्न की घटनाएं सामने आती रहती हैं. पिछले साल जमुई में एक कार दुर्घटना के बाद कार में आग लग गयी थी. जांच में यह सामने आया था कि वह कार एलपीजी सिलेंडर से चलायी जा रही थी. नये साल के दौरान हुए इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गयी थी. लेकिन इसके बाद भी इस पर रोक लगाना तो दूर, इसे लेकर लोगों को जागरूक भी नहीं किया जा रहा है. इतना ही नहीं एलपीजी सिलेंडर से गाड़ियों को चलाने में विस्फोट का खतरा भी बना रहता है.
एक गैस सिलेंडर से 200 किलोमीटर चल सकती हैं गाड़ियां
डीजल और पेट्रोलियम को छोड़ कर एलपीजी से गाड़ियों को चलाये जाने के बाद खतरे की आशंका के बाद भी चालक वाहनों का परिचालन करते है. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर जान जोखिम में डालकर भी एलपीजी सिलेंडर से गाड़ियों का परिचालन क्यों किया जाता है. इसे ऐसे समझें कि बाजार में एक लीटर डीजल की कीमत करीब 100 रुपये है. 100 रुपये के डीजल में मालवाहक गाड़ियां 10 से 12 किलोमीटर चलती हैं. यानी 10 लीटर डीजल, जिसकी कीमत 1000 रुपये के करीब है. इसमें से 100 से 120 किलोमीटर गाड़ी चलायी जा सकती है. लेकिन ब्लैक में एक हजार रुपये में एक गैस सिलेंडर खरीद कर 200 किलोमीटर तक गाड़ी चलायी जा सकती है. इसी को देखते हुए रिस्क लेकर भी ड्राइवर गाड़ियों का परिचालन करते हैं. इसमें बड़ी तादाद माल वाहक वाहनों की है. कई यात्री गाड़ियां भी चलायी जा रही हैं.
सीएनजी स्टेशन बने, तो लोगों को होगी सहूलियत
गैरेज संचालक पवन कुमार बताते हैं कि एलपीजी सिलेंडर को गाड़ी में भरकर चलना विस्फोटक लेकर चलने के समान है. एलपीजी से गाड़ी चलाने से माइलेज में कोई अत्यधिक इजाफा देखने को नहीं मिलता है, फिर भी ड्राइवर ऐसा करते हैं. जबकि सीएनजी इसके मुकाबले कहीं ज्यादा माइलेज देता है और सीएनजी से गाड़ी चलाना लोगों के लिए ज्यादा मुफीद है. ऐसे में एलपीजी सिलेंडर से गाड़ियों के परिचालन पर रोक लगाने का एकमात्र उपाय सीएनजी स्टेशन लगाना है. जमुई में वर्तमान में एक भी सीएनजी स्टेशन नहीं है. लोगों को सीएनजी लेने के लिए नजदीकी जिला बेगूसराय जाना पड़ताहै. इसलिए इसके विकल्प के तौर पर लोग एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही जिले में आसानी से एलपीजी का सिलेंडर ब्लैक में उपलब्ध हो जाता है. यह भी एक कारण है कि बड़े पैमाने पर एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल गाड़ियों के परिचालन में किया जा रहा है.