Jamui news : हादसे ने एक पैर छीन लिया, लेकिन सीमा ने कभी हार नहीं मानी. एक पैर के सहारे ही अपने जीवन को आगे बढ़ाने निकल पड़ी. दो साल पहले एक पैर के सहारे कूदते हुए स्कूल जा रही सीमा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो उसकी मदद के लिए कई हाथ उठे. पर, आज दो साल बाद सीमा वहीं खड़ी है जहां से चली थी. यह कहानी है जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र के फतेहपुर गांव के खीरण मांझी की 12 वर्षीया पुत्री सीमा कुमारी की. चार साल पहले एक सड़क हादसे में उसने अपना एक पैर खो दिया था. इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद सीमा का हौसला कम नहीं हुआ. उसने अपने सपनों को साकार करने की ठान ली.
कूदते हुए जाती थी स्कूल, वीडियो हुआ था वायरल
वह एक किलोमीटर तक पैदल चल कर एक पैर के सहारे ही कूद-कूद कर स्कूल जाने लगी. जब उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब उसकी मदद को कई हाथ उठे. पर, दो साल बाद सीमा की हालत फिर से पहले जैसी ही हो गयी है. सीमा ने बताया कि दो साल पहले मदद के रूप में उसे कई सारे आश्वासन तो मिले, लेकिन केवल आर्टिफिशियल पैर ही लग पाया था. आर्टिफिशियल पैर लगाने के बाद वह अपने स्कूल आराम से जा रही थी. पर, उम्र बढ़ने के साथ ही सीमा की लंबाई भी बढ़ने लगी और उसका आर्टिफिशियल पैर छोटा पड़गया. अभी स्थिति यह हो गयी है कि वह जब अपने आर्टिफिशियल पैर लगाती है, तो उसे भयानक दर्द होता है. कभी-कभी दर्द इतना बढ़ जाता है कि वह पीड़ा से बेहोश भी हो जाती है. इसलिए वह अब आर्टिफिशियल पैर नहीं लगा पाती है. इस कारण सीमा एक बार फिर से अपने एक पैर के सहारे ही कूद-कूद कर अपना काम करती है. सबसे दुखद यह है कि अब उसकी पढ़ाई भी छूट गयी है.
पिता ने कहा, इतने पैसे नहीं कि उसका इलाज करा सकें
सीमा के पिता खीरन मांझी ने कहा कि हम गरीब परिवार से हैं, इस कारण हमारी उपेक्षा हो रही है. पिछले दो सालों में हमने जिलाधिकारी से बात तक नहीं की है. हम इस डर से उनके पास मिलने नहीं जाते हैं कि हम छोटे लोग हैं, उनके पास जाकर क्या कहेंगे. हम आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि सीमा का इलाज करवा सकें. परिवार के दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने में ही पूरा दिन निकल जाता है.
हादसे के बाद काटना पड़ा था एक पैर
सड़क दुर्घटना के बाद उसका एक पैर काटना पड़ा था. दुर्घटना के बाद गांव के दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देख उसके अंदर भी विद्यालय जाने की इच्छा जागृत हुई थी. सीमा ने खुद ही स्कूल जाने की इच्छा जतायीथी. स्कूल में एडमिशन तो करा दिया गया, लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी कि उसे स्कूल कैसे पहुंचाया जाये. घर से स्कूल तक पक्की सड़क नहीं थी. फिर भी सीमा ने हौसला नहीं खोया और महज एक पगडंडी के सहारे एक पैर से कूदते-कूदते बस्ता टांगे स्कूल पहुंचती थी.
सीमा की होगी हर तरह से मदद : डीएम
पूरे मामले की जानकारी जब जमुई जिलाधिकारी राकेश कुमार को हुई तो उन्होंने कहा कि सीमा की मदद को लेकर पदाधिकारी को निर्देश दे दिया गया है. जिस कंपनी ने सीमा का आर्टिफिशियल पैर लगाया था उसी कंपनी से दोबारा सीमा का आर्टिफिशियल पैर बनवाया जायेगा. सीमा के बारे में जानकारी मिलने पर पदाधिकारी को सीमा के घर भेजा गया है. जल्द ही सीमा को परेशानी से निजात दिलायी जाएगी. वह फिर स्कूल जाएगी.