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राष्ट्रीय लोक अदालत सुलभ न्याय का सशक्त माध्यम: कमला प्रसाद

लोक अदालत में निष्पादित वाद की बाद में किसी भी अदालत में नहीं हो सकती सुनवाई

जमुई. राष्ट्रीय लोक अदालत हर तबके के लिए सस्ता व सुलभ न्याय पाने का सशक्त माध्यम है. लोक अदालत में निष्पादित वाद में किसी भी अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती है. उक्त बातें एडीजे द्वितीय कमला प्रसाद ने शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का उदघाटन करते हुए कही. उन्होंने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से समय के साथ-साथ आर्थिक परेशानी से भी मुक्ति मिलती है. लोक अदालत का सबसे बड़ा गुण निःशुल्क और त्वरित न्याय है. यह विवादों के निबटारे का प्रभावशाली माध्यम है. उन्होंने कहा कि लोक अदालत आपसी सुलह या बातचीत की एक प्रणाली है. यह एक ऐसा मंच है जहां सौहार्दपूर्ण तरीके से मामले को निबटाया जाता है. इसका मकसद लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर न्याय दिलाना है. यह वंचित और कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की वकालत करता है और समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देता है. यह अदालत भारतीय न्याय प्रणाली की उस पुरानी व्यवस्था को स्थापित करता है जो प्राचीन भारत में प्रचलित थी. इसकी वैधता आधुनिक दिनों में भी प्रासंगिक है. इस अदालत में वादों के निष्पादन के लिए लचीला रुख अख्तियार किया जाता है. इसके चलते लोगों को अल्प समय में अल्प व्यय के साथ त्वरित न्याय मिलता है. इस में पक्षकारों की हार-जीत नहीं होती है. एडीजे तृतीय पवन कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए समस्त न्यायिक , राजस्व और प्रशासनिक अधिकारी लचीला रुख अख्तियार करें. विशेष तौर पर न्यायालय में लंबित आर्बीट्रेशन मामले, पारिवारिक-वैवाहिक, सिविल-बंटवारा, चेक बाउंस, लघु आपराधिक और ई-चालान मुकदमों को सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारण कर वादी को लाभ पहुंचाएं. इसके साथ ही लंबित प्री-लिटिगेशन और बैंक ऋण प्री-लिटिगेशन मामलों को अधिक से अधिक निस्तारित करायें. उन्होंने राष्ट्रीय लोक अदालत को अत्यंत लाभकारी बताया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राकेश रंजन ने कहा कि पक्षकार अपने मुकदमों के निस्तारण के लिए संबंधित न्यायालय एवं विभागीय अधिकारी से संपर्क कर राष्ट्रीय लोक अदालत का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं. इस अदालत के जरिये सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, अंतिम रूप से निस्तारण, समय और धन की बचत जैसे लाभ मिलते हैं. यहां बीमा, बिजली, वन, बैंक, खनन, उत्पाद, दूरभाष, मापतौल, वैवाहिक वाद, मोटर दुर्घटना, एनआइ एक्ट, राजस्व आदि से संबंधित सुलहनीय प्रकरणों की सुनवाई होती है और उदारता के साथ इनका निबटारा किया जाता है. अपर समाहर्ता सुभाषचंद्र मंडल ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनाये गये फैसले की उतनी ही अहमियत है, जितनी सामान्य अदालत में सुनाये गये फैसले की होती है. इस दौरान न्यायिक पदाधिकारी अतुल सिन्हा, एमके दुबे, कुमार प्रभाकर, अनुभव रंजन, नाजिया खान, मृणाल आर्यन, अनिमेष रंजन, अहसान रशीद, एलडीएम श्रीमती लक्ष्मी, कोर्ट कर्मी मुकेश रंजन सहित कई पदाधिकारी, अधिवक्ता गण व भारी संख्या में लोग उपस्थित थे.

10 बेंचों का गठन किया गया था गठन

राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलाें के निष्पादन को लेकर 10 बेंच लगाया गया था. इस पर यथोचित सहयोग देने को लेकर विद्वान अधिवक्ता नामित किये गये थे.

1359 मामलों का हुआ निष्पादन, 5 करोड़ 15 लाख 91 हजार 645 रुपये की राशि का सेटलमेंट

व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. मामलों के निष्पादन को लेकर 10 बेंचों का गठन किया गया था. इसके माध्यम से न्यायिक पदाधिकारियों ने वादों का निष्पादन किया. राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 1359 मामलों का निष्पादन किया गया. इसमें 5 करोड़ 15 लाख 91645 रुपये की सहमति राशि तय की गयी और कुल वसूल की गयी राशि 3 करोड़ 53 लाख 9915 रुपये रही. इसमें दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के कुल 446 लोन मामलों का निष्पादन हुआ और कुल सहमति राशि एक करोड़ 57 लाख 68204 रही, जबकि वसूली राशि एक करोड़ 5 लाख 34613 रुपये रही. विभिन्न न्यायालयों में लंबित वाद निष्पादित किये गये, जिनकी संख्या 413 रही. इसमें एक करोड़ 68 लाख 23 536 रुपए वसूल किये गये. इसी प्रकार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 183 मामलों में एक करोड़ 22 लाख 64927 रुपए की सहमति राशि तय की गयी और 47 लाख 26568 रुपये वसूल किये गये.

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