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जमुई के चननवर में 150 नक्सलियों ने ध्वस्त किया था शिक्षा का मंदिर, अब यहां गूंज रहा ककहरा

जमुई जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चाननवार को एक दशक पूर्व नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर ध्वस्त कर दिया था. नक्सलियों ने धमकी दी कि गांव का एक भी बच्चा शिक्षा नहीं लेगा. हालांकि, इस घटना को एक दशक बीत चुका है और इलाके की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. अब यहां भी स्कूल में बच्चों के पढ़ने की आवाज गूंजती है.

साल 1998 में जमुई जिले में पहली नक्सली घटना हुई थी, जब नक्सलियों ने एक पोलिंग टीम को निशाना बनाया था. इसके बाद लगातार ढाई दशक तक जिले में नक्सलियों का बोलबाला रहा. लगातार कई ऐसी नक्सली घटनाएं सामने आयीं, जिसने यहां के लोगों को डरा दिया था. उन्हीं घटनाओं में से एक था जिले के गरही थाना क्षेत्र के चननवर स्कूल को नक्सलियों द्वारा ध्वस्त किया जाना. इसके बाद इस गांव के बच्चों की पढ़ाई मानो रुक-सी गयी थी.

दरअसल तत्कालीन खैरा थाना क्षेत्र के चननवर गांव में नक्सलियों ने एक रात जन अदालत लगाकर गांव की स्कूल को ढहा दिया था. इस गांव के लोगों की गलती मात्र इतनी थी कि चुनाव के दौरान इस गांव के स्कूल में सुरक्षा बलों ने डेरा डाला था. इसके बाद इसका खामियाजा गांव वालों को भुगतना पड़ा. एक रात नक्सली आये और उन्होंने गांव के स्कूल को जेसीबी लगाकर तोड़ दिया था. वो टूटा हुआ स्कूल भवन आज भी उस नक्सल घटना की याद दिलाता है.

150 की संख्या में आये थे नक्सली, आज भी याद आता है वो मंजर

खैरा प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चननवर को नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर तोड़ दिया था. चननवर निवासी ग्रामीण पिंटू यादव ने बताया कि आज से करीब एक दशक पूर्व की यह बात है. जब नक्सलवाद अपने चरम पर हुआ करता था. उस दौरान करीब 150 की संख्या में नक्सली देर रात आये और उन्होंने दो-तीन ग्रामीणों को बंधक बना लिया. फिर उन्हें स्कूल के परिसर में ही लेकर आ गये.

नक्सली अपने साथ जेसीबी और बुलडोजर लेकर आये थे. इसके बाद उन्होंने एक-एक कर स्कूल के सभी कमरों को तोड़ना शुरू कर दिया. दो-तीन घंटे तक लगातार नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर दहशत फैला दिया. और स्कूल को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर चले गये. नक्सलियों ने यह धमकी दी कि गांव का एक भी बच्चा शिक्षा नहीं लेगा.

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नक्सलियों के हमले की गवाही देता भवन

हरखाड़ पंचायत में ही घटी थी जिले की पहली नक्सली घटना

जिले की पहली नक्सली घटना भी हरखाड़ पंचायत में ही सामने आयी थी. दरअसल साल 1998 में लोक सभा चुनाव के दौरान दीपाकरहर में नक्सलियों ने एक ट्रैक्टर को विस्फोट कर उड़ाया था. उस ट्रैक्टर में सवार चुनाव कर्मी मतदान संपन्न कराने जा रहे थे. इसी दौरान नक्सलियों ने उनपर हमला किया था और इस घटना में कई मतदान कर्मी और पुलिस कर्मियों की मौत हो गयी थी.

नौ अगस्त 2003 को हड़खार पंचायत के मुखिया गोपाल साव के घर को विस्फोटक से उड़ाकर मुखिया सहित तीन लोगों की गला रेतकर हत्या कर दी थी. जब दूसरे दिन डीएम व एसपी घटनास्थल का जायजा लेने जा रहे थे तो नक्सलियों ने पुलिस प्रशासन के काफिले पर हमला कर दिया था. इस हमले में झाझा के इंस्पेक्टर कपिलदेव राम शहीद हुए थे. नक्सलियों ने पांच पुलिस वाहनों में आग लगा दी थी. 4 जून 2007 को नक्सलियों ने गरही के सिंचाई विभाग के आइबी को विस्फोट कर उड़ाया था. इन इलाकों में लगातार नक्सल घटनाएं सामने आती रही हैं.

अब बदल गयी है तस्वीर

हालांकि इस घटना को एक दशक गुजर गया है और इलाके की तस्वीर पूरी तरह से बदल गयी है. अब यहां भी स्कूल में बच्चों की पढ़ने की आवाज गूंजती है. यहां हर रोज बड़ी संख्या में बच्चे शिक्षा लेने आते हैं. दरअसल, इस जगह पर एक नया विद्यालय बन गया है और यहां कक्षाएं चलती हैं, जिसमें बच्चे शिक्षा पाते हैं.

शिक्षक रणवीर कुमार बताते हैं कि इस इलाके के लोगों को नक्सली के दलदल से निकलने के लिए केवल शिक्षा ही सहायक हो सकता है. इस इलाके के बच्चे अब शिक्षा ले रहे हैं, जो बड़ी अच्छी बात है. उन्होंने बताया कि लगातार इस इलाके की बेहतरी को लेकर कई काम किये गये. अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों को तैनात किया गया है. पुलिस थाना बनाया गया है और धीरे-धीरे यह इलाका भी विकास की तरफ पूरी तरह से बढ़ चला है. जमुई जिले के इस विद्यालय की कहानी उम्मीद का सवेरा जैसी है.

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चननवर स्कूल में पढ़ाई करते बच्चे

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