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मांदर की थाप पर थिरकते हुए हर द्वार पर गाये सोहराय के गीत, दिया प्रकृति से जुड़े रहने का संदेश

आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति से जुड़े प्रमुख त्योहार सोहराय की धूम मची हुई है.

चकाई. आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति से जुड़े प्रमुख त्योहार सोहराय की धूम मची हुई है. आदिवासी बहुल इलाका होने के कारण पिछले 1 सप्ताह से यहां गांव-गांव में आदिवासी समाज के लोग ने सोहराय पर्व को मना रहे हैं. इस पर्व में आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति और प्रकृति से जुड़ाव की झलक मिल रही है पूरे इलाके में ढोल झाल मांदर की थाप पर आदिवासी समुदाय थिरक रहे हैं. मंगलवार को प्रखंड की बामदह पंचायत अंतर्गत सुदूरवर्ती घने जंगलों में स्थित बाघापतार गांव में आदिवासी समुदाय के लोगों ने भव्य सोहराय महामिलन समारोह का आयोजन किया. इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के युवक युवतियों ने भाग लिया और घर-घर जाकर ढोल, झाल और मांदर बजा कर सोहराय गीत गाया. इस दौरान घर-घर जाकर चूड़ा भी लिया. यहां मुख्य अतिथि के रूप में जदयू नेता और पूर्व विधान पार्षद संजय प्रसाद ने भी शिरकत की तथा आदिवासियों के साथ देर तक खुद ढोल और मांदर बजाते रहे . उनके समर्थक भी आदिवासी गीतों पर झूमते दिखाई पड़े. पूर्व विधान पार्षद ने आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच मिठाई का भी वितरण किया और सोहराय पर्व की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि सोहराय पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ पर्व है. यह हमें अपने सभ्यता संस्कार और संस्कृति से जुड़े रहने की सीख देता है.इस मौके पर जदयू जिला उपाध्यक्ष बालेश्वर दास,जदयू प्रखंड अध्यक्ष विंदेश्वरी वर्मा,युवा नेता राजेश पांडे, दयानंद तांती, पूर्व जिला पार्षद राम लखन मुर्मू, दिलीप राय ,भगवान राय ,नीरज नगीना ,भोला सिंह ,ललित मरांडी, प्रियांशु कौशिक आदि मौजूद थे.

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