जमुई. श्रावण मास की तीसरी सोमवारी को लेकर जिले के विभिन्न शिवालयों और मंदिरों में विशेष तैयारियां की जा रही हैं. जिले के बरहट प्रखंड स्थित बाबा पतनेश्वर धाम मंदिर में तीसरी सोमवारी को भगवान शिव का विशेष रुद्राभिषेक होगा. इसे लेकर मंदिर प्रबंधन की तरफ से विशेष तैयारियां की जा रही है. वहीं जिले के महादेव सिमरिया स्थित धनेश्वर नाथ मंदिर, खैरा स्थित गिद्धेश्वर नाथ मंदिर, रावणेश्वर शिवालय, झिकुटिया स्थित महादेव मंदिर आदि मंदिरों में शिव पूजनोत्सव को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं.
तीसरी सोमवारी का महत्व
सावन के तीसरे सोमवार पर भगवान के शिव के तीन स्वरूपों की पूजा की जाती है. आचार्य पंडित महेंद्र पांडेय की माने तो इस सृष्टि में तीन गुण हैं सत, तम और रज. इन तीनों गुणों को मिलाकर ही सृष्टि का निर्माण हुआ है. इसका स्वयं भगवान शिव संचालन करते हैं. भगवान शिव के नटराज, मृत्युंजय व नीलकंठ इन तीनों रूपों की आराधना करनी चाहिए. शिवजी अपने इन्हीं स्वरूपों के जरिए सृष्टि का भरण पोषण करते हैं. इसलिए शिव भक्तों के लिए यह सोमवार विशेष लाभकारी माना गया है. इस अवधि में विवाह योग्य लड़कियां इच्छित वर पाने के लिए विशेष व्रत रखती हैं. इस अवसर पर भगवान शिव के अलावे उनके परिवार अर्थात मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी आदि की भी पूजा की जाती है.कैसे करें सावन के तीसरे सोमवती पर पूजा
आचार्य पांडेय बताते हैं कि सोमवार के दिन प्रातः काल और सायं काल स्नान के बाद शिव परिवार की पूजा करें. इस दौरान पूर्वमुखी या उत्तर की दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठकर एक और पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शक्कर एवं गंगाजल रख ले. शिव परिवार को पंचामृत से स्नान करवाएं. फिर चंदन, फल, फूल, रोली, सुगंध और वस्त्र आदि अर्पित करें. भगवान शिव का दूसरा नाम मृत्युंजय भी है. जब किसी भी पूजा या कर्मकांड से कष्टों का निवारण ना हो तो महामृत्युंजय मंत्र एक अमोघ बाण के समान काम करता है. यह जीवन को सभी कष्टों से निकाल कर सुख देता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है