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जदयू का पोल-खोल अभियान क्या है? केंद्र सरकार के खिलाफ कैंडल मार्च से लेकर काले झंडे तक की तैयारी जानिए..

जदयू अब भाजपा को घेरने के लिए पोल-खोल अभियान चला रही है. इसे तीन चरण में जदयू चलाएगी और केंद्र सरकार की नीति के विरोध में लोगों को जागरूक करेगी. ललन सिंह और अन्य नेताओं ने बताया कि भाजपा के खिलाफ जदयू की रणनीति क्या है..

बिहार में जदयू और भाजपा अब अलग-अलग है. इधर, बिहार में जाति गणना के लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. अब एकत्र किए गए आंकड़ों पर काम चल रहा है. प्रदेश में जाति गणना को लेकर सियासत भी गरमायी हुई है. बिहार में महागठबंधन की सरकार भाजपा पर हमलावर है. केंद्र सरकार और भाजपा को दलित व पिछड़ा विरोधी बताकर जदयू व राजद लगातार हमले करती आयी है. भाजपा पर आरोप लगाया जाता रहा है कि जातिगत गणना के विरोध में पार्टी और सरकार रही है. वहीं अब जदयू केंद्र सरकार के खिलाफ जदयू का पोल-खोल अभियान शुक्रवार से शुरू कर रही है. इस अभियान के क्या मायने हैं, जानिए..

पोल-खोल अभियान क्या है?

केंद्र सरकार के खिलाफ जदयू का पोल-खोल अभियान शुक्रवार से शुरू होगा. पार्टी ने इस अभियान को राज्य में तीन चरणों में चलाने का निर्णय लिया है. पहले चरण में एक से पांच सितंबर तक सभी जिला मुख्यालयों में मशाल जुलूस एवं कैंडल मार्च निकाला जायेगा. पटना जिला जदयू की तरफ से जदयू मुख्यालय से हार्डिंग पार्क तक मशाल जुलूस और कैंडल मार्च निकाला जायेगा. इसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, पटना जिला के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहेंगे.

अभियान का दूसरा चरण..

जदयू के पोल खोल अभियान का दूसरा चरण सात से 12 सितंबर तक प्रखंड मुख्यालयों में आयोजित होगा. इसमें मशाल जुलूस एवं कैंडल मार्च निकालकर जदयू नेता व कार्यकर्ता केंद्र सरकार की नीतियों की पोल खोलेंगे. अभियान का तीसरा और अंतिम चरण 15 से 20 सितंबर तक आयोजित होगा. इसमें पार्टी के सभी पदाधिकारी अपने-अपने घरों में काला झंडा लगाकर मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे.

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बिहार में जातीय गणना पर आमने-सामने

बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय गणना को हरी झंडी दे दी है. जातीय गणना को लेकर जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने हाल में ही भाजपा पर हमला बोला था. ललन सिंह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही बिहार में जातीय गणना का काम अंतिम चरण में है. इसके बाद भी भाजपा ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप किया. भाजपा बेनकाब हो चुकी है. उसका चेहरा उजागर हो गया है.

भाजपा पर हमलावर जदयू

बिहार विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने हाल में कहा कि भाजपा पहले अपने लोगों को उकसाकर लोकहित याचिकाओं के माध्यम से अदालती पेंच फंसाती है. जब यहां असफल हुई तो केंद्र सरकार सीधे इस मामले में सॉलिसिटर जनरल के माध्यम से कूद पड़ी.केंद्र सरकार ने अदालत को कहा है कि इस मामले में व ना तो पक्ष में है और ना ही विपक्ष में. बिहार सरकार अर्थिक और सामाजिक स्थिति की वास्तविकता जानने के लिए जातीय गणना और सर्वेक्षण करवा रही है, यह कोई जनगणना नही है.विजय कुमार चैधरी ने कहा कि निश्चित रूप से जनगणना का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितनी संवेदनशील और ईमानदार है इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि जो जनगणना 2021 में संपन्न होना था वह 2023 के 8 महिनो तक भी शुरू नहीं हुआ.


भाजपा ने हलफनामा बदला

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच ही सोमवार को केंद्र सरकार ने दाखिल किए हलफनामे को वापस लिया और संशोधित हलफनामा दायर किया है. पहले दायर हलफनामे में केंद्र की ओर से बताया गया कि जनगणना का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है. बिहार सरकार को जातिगत सर्वे का अधिकार नहीं है. वहीं शाम को संशोधित हलफनामें में राज्य को जातिगत सर्वे कराने की अनुमति नहीं मिलने वाले बिंदु को हटा लिया गया. जिसके बाद महागठबंधन के नेता भाजपा पर हमलावर हुए और कहा कि साजिश के तहत ये कहा गया था कि बिहार सरकार को सर्वे का अधिकार नहीं है. जातिगत सर्वे को भाजपा रोकना चाहती थी.

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