अरवल.
आवारा कुत्तों से निबटने के लिए पशुपालन और नगर परिषद के पास व्यवस्था नहीं है. आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए नगर परिषद के पास कोई व्यवस्था नहीं है. न ही इसके लिए भविष्य में कोई योजना है. आवारा पशुओं की धर-पकड़ के लिए नप के पास प्रशिक्षित कर्मचारियों का कोई पद भी सृजित नहीं है. नगर परिषद में कोई योजना नहीं बनी. बहरहाल शहर के लोग आवारा पशुओं के शिकार होते रहे. इसके कारण शहर में आवारा पशुओं खास कर कुत्ता, सुअर एवं सांढ़ की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है. यह समस्या शहर के लिए बेहद गंभीर एवं लाइलाज होती जा रही है. शहर के तमाम मोहल्लों में अनगिनत आवारा कुत्ते, सुअर सड़कों एवं गलियों में विचरण करते रहते हैं. कुत्तों की बढ़ती संख्या सबसे गंभीर समस्या है. लोगों को देख कुत्ते न सिर्फ उन पर भौंकते और गुर्राते हैं, बल्कि हमलावर होकर काट भी लेते हैं. कुत्तों के काटे जाने के शिकार दर्जनों की संख्या में मरीज अस्पताल में एंटी रेबीज की सुई लेने आ रहे हैं. गर्मी के दिनों में इन आवारा पशुओं का कहर तेज हो जाता है. शहर के लोगों से सुविधा कर वसूलने वाले नगर परिषद आवारा पशुओं से राहत दिलाने के मामले पर फिसड्डी साबित हो रही है.जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा कुत्ते रोजाना आमजनों पर हमला कर रहे हैं लोग लहूलुहान होकर सदर अस्पताल में रेबीज वैक्सीन लेने पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही मरीजों को टेटनस का भी इंजेक्शन लगवाना पड़ता है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन 30 से 40 लोग को रेबीज का टीका लगाया जाता है. लेकिन कुत्तों से निपटने के लिए न तो नगर परिषद और ना ही जिला पशुपालन विभाग के पास कोई व्यवस्था है ऐसे में कुत्तों के आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवारा कुत्ते बच्चे व अकेला व्यक्ति पर हमला ज्यादा करते हैं. रात के वक्त गलियों में चलना मुश्किल हो जाता है. वह कभी भौंकते हैं तो कभी खदेड़ते हैं. उनका आतंक इतना ज्यादा बढ़ा है कि लोगों को रास्ता बदलकर घर पहुंचना पड़ता है. शहर के निवासी रंजीत कुमार, विकास कुमार ने बताया कि शहर के बस स्टैंड में कभी भी कुत्तों का झुंड देखा जा सकता है उनकी बड़ी फौज चिकेन-मटन मंडी के मुहाने पर खड़ी दिखती है. जब कोई मटन चिकेन खरीदकर ले जाता है वह उसे झपटने की फिराक में पीछे पड़ जाते हैं. वह रास्ते को घेरे रहते हैं. चिकेन, मटन व मछली की दुकानों के आसपास दर्जनों आवारा कुत्ते मंडराते रहते हैं जो आने-जाने वाले लोगों को तंग करते हैं. लोग कुत्ते के खतरनाक मंसूबे को जान नहीं पाते हैं और वह उस रास्ते से बढ़ने लगते हैं जिधर कुत्ते होते हैं. इसी दौरान वह हमला कर देते हैं. रात में बाइक सवार पर भी कुत्ते काफी अक्रामक होकर दौड़ते हैं. भय से बाइक पर चलने वाले लोग गिरकर चोटिल भी हो जाते हैं.विश्व रेबीज डे पर पालतू कुत्तों को दिया जाता है टीका :
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि जिले में आवारा कुत्ते को पकड़ने और उसको टीकाकरण करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. लेकिन विश्व रेबीज डे पर पालतू कुत्ते को रजिस्ट्रेशन कराने पर टीकाकरण किया जाता है. पूरे जिले में 100 पालतू कुत्तों को टीकाकरण करने के लिए इंजेक्शन विभाग भेजता है. पागल कुत्ते को पकड़ने और उसमें विष का प्रभाव कम करने के लिए किसी तरह की विभागीय व्यवस्था नहीं है.क्या कहते हैं अधिकारी
अभी तक आवारा कुत्तों को पकड़ने और उसके टीकाकरण के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है.दिनेश पुरी, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, अरवल
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