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सिद्धेश्वरनाथ मंदिर के पास एआरबी के जवान तैनात

प्रखंड के वाणावर पहाड़ स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर के समीप हुए भगदड़ के बाद नजारा बदला-बदला दिख रहा है. भगदड़ के बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर मंगलवार को मंदिर के समीप श्रद्धालुओं को भीड़ को लेकर मंदिर परिसर में एआरबी के जवानों को लगाया है, जो पहाड़ पर आये श्रद्धालुओं की सुरक्षा करेंगे. साथ ही भीड़ पर नियंत्रण रखेंगे. वहीं स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर रेफरल अस्पताल मखदुमपुर द्वारा पहाड़ी इलाके के पातालगंगा इलाके में अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र बहाल किया गया है. साथ ही मंदिर के समीप में बने मेडिकल कैंप के सभी दवाओं के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था भी की गयी है.

मखदुमपुर

. प्रखंड के वाणावर पहाड़ स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर के समीप हुए भगदड़ के बाद नजारा बदला-बदला दिख रहा है. भगदड़ के बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर मंगलवार को मंदिर के समीप श्रद्धालुओं को भीड़ को लेकर मंदिर परिसर में एआरबी के जवानों को लगाया है, जो पहाड़ पर आये श्रद्धालुओं की सुरक्षा करेंगे. साथ ही भीड़ पर नियंत्रण रखेंगे. वहीं स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर रेफरल अस्पताल मखदुमपुर द्वारा पहाड़ी इलाके के पातालगंगा इलाके में अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र बहाल किया गया है. साथ ही मंदिर के समीप में बने मेडिकल कैंप के सभी दवाओं के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था भी की गयी है.

इस बाबत प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी प्रभात कुमार अखोरी ने बताया कि विभाग के निर्देश पर पहाड़ी इलाका में पूर्व से मेडिकल कैंप चल रहे थे लेकिन भगदड़ के बाद अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र बहाल किया गया है, जहां सारी दावों के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध कराया गया है. बताते चलें कि रविवार की रात वाणावर पहाड़ स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर के समीप हुए भगदड़ में सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. जबकि दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे. वहीं ऑक्सीजन की कमी के कारण कई श्रद्धालु की मौत दम घुटकर भी हो गई थी. वहीं स्थानीय लोग जिला प्रशासन पर मंदिर के समीप कम संख्या में पुलिस बल के जवान को तैनात करने का आरोप लगाया था.

राजस्व करीब दो करोड़, सुविधाएं नदारद : वाणावर श्रावणी मेला से जिला प्रशासन को करीब दो करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है.

हालांकि यहां सुविधाओं की काफी कमी देखी जाती है. मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ी तथा रेलिंग का भी हर साल मरम्मति नहीं कराया जाता है. जबकि अन्य दो रास्ते हैं उसे सुगम बनाने का प्रयास प्रशासनिक स्तर पर नहीं किया जाता है. इन रास्तों को स्थानीय लोगों के सहयेाग से पहाड़ी पर चढ़ाई के योग्य बनाया जाता है जिससे श्रद्धालु बाबा सिद्धेश्वरनाथ के मंदिर पर पहुंचते हैं. श्रावणी मेला के दौरान हजारों की संख्या में शिव भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं.

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