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चार दिनों तक शहर के जिन जगहों से हटाया गया था अतिक्रमण, वहां फिर सज गयीं दुकानें

शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान सफल होता नहीं दिख रहा है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के नेतृत्व में पिछले चार दिनों से लगातार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है जिसमें दुकान हटाने के अलावा उन पर जुर्माना और ठेला जब्त करने की कार्रवाई भी की जा रही है बावजूद इसके अभियान खत्म होते ही फुटपाथ के दुकानदार फिर से अपनी दुकानें उसी जगह पर सजा लेते हैं.

जहानाबाद. शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान सफल होता नहीं दिख रहा है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के नेतृत्व में पिछले चार दिनों से लगातार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है जिसमें दुकान हटाने के अलावा उन पर जुर्माना और ठेला जब्त करने की कार्रवाई भी की जा रही है बावजूद इसके अभियान खत्म होते ही फुटपाथ के दुकानदार फिर से अपनी दुकानें उसी जगह पर सजा लेते हैं. वहीं ठेले पर सामान बेचने वाले तो अतिक्रमण हटाने वाली टीम के जाते ही फिर से अपना ठेला लगा लेते हैं. नगर परिषद प्रशासन और अतिक्रमण कार्यों के बीच लुकाछिपी का यह खेल पिछले चार दिनों से चल रहा है. चार दिनों से चलाया जा रहे अतिक्रमण हटा अभियान के दौरान प्रशासन और प्रति दुकानदारों के बीच नोक-झोंक की भी मामले सामने आते हैं. पिछले चार दिनों में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान काको मोड़ से अरवल मोड़, अस्पताल मोड़ और सब्जी मंडी तक दो-दो बार अभियान चलाया जा चुका है. इस दौरान पांच ठेला जब्त किया गया है. जबकि जुर्माने के रूप में 13000 से अधिक की राशि वसूल की गयी है, किंतु अतिक्रमण हटाये जाने के बाद से ही दुकानदारों ने फिर से अपनी दुकानें सजानी शुरू कर दी. ठेले पर सामान बेचने वाले तो टीम के जाते ही फिर से ठेला लगा लेते हैं. सोमवार को भी जहानाबाद नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीनानाथ सिंह के नेतृत्व में अस्पताल मोड़ से लेकर अरवल मोड़ तथा राजाबाजार तक अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया. इस दौरान कार्यपालक पदाधिकारी ने अतिक्रमण करने वाले दुकानों को हटाने के अलावा दुकान के ऊपर लगे सेट को भी ध्वस्त किया है. इस दौरान एक ठेला जब्त किया गया. जबकि अतिक्रमण करने वाले फुटपाथी दुकानदार से 2200 रुपये जुर्माने की राशि वसूल की गई है. इससे पहले भी शहर में कई बार अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया था. इससे पहले ट्रैफिक पुलिस के द्वारा अरवल मोड और अस्पताल मोड से लेकर काको मोड़ तक अतिक्रमण हटाने का कार्य किया गया था किंतु फिर उसके बाद स्थिति जस की तस हो गई. इसके पहले फरवरी में एसडीओ और नगर परिषद के द्वारा संयुक्त रूप से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गयी थी. इस दौरान भी दुकानदारों से जुर्माना वसूला गया था बावजूद अतिक्रमणकारियों दुकानदार फुटपाथ पर अपनी दुकान लगाने से बाज नहीं आए. अतिक्रमणकारियों के खिलाफ नगर परिषद और जिला प्रशासन के द्वारा कई बार बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया किंतु अभियान के दौरान फुटपाथ से दुकानों को हटाये जाने के बाद फिर से दुकानें सजा लेने की प्रवृत्ति के कारण शहर से अतिक्रमण हटने का नाम नहीं ले रहा है. जिला प्रशासन या नप के द्वारा अतिक्रमण हटाए जाने के अगले दिन ही दुकानदार फिर से अपनी दुकानें उसी फुटपाथ पर उसी जगह सजा लेते हैं. संकीर्ण हो गयी हैं शहर की सड़कें : स्थाई और अस्थाई अतिक्रमणकारियों के कारण शहर की अधिकांश सड़कें संकीर्ण हो गई हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि पहले शिवाजी पथ में ट्रक से मांग उतारा जाता था किंतु अब अतिक्रमण के कारण इस रोड में ट्रैक्टर भी रात में ही जा पाता है. ट्रक तो किसी भी हाल में प्रवेश नहीं कर सकता. हालांकि नगर परिषद के द्वारा कोई सर्वे या मापी भी नहीं कराई गई है कि किस जगह पर कितनी चौड़ी सड़कें थीं और अब कितनी शेष बची हैं. शहर में एक बार फिर से मापी कर सड़क की लंबाई-चौड़ाई चिह्नित करने की जरूरत है.

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