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ेडिकल बोर्ड ने इंज्यूरी रिपोर्ट गंभीर नहीं बनायी, तो सीएस कार्यालय में ही खा लिया जहर

सिविल सर्जन कार्यालय में शनिवार को मेडिकल बोर्ड की बैठक के दौरान इंज्यूरी रिपोर्ट को गंभीर की जगह नॉर्मल बनाने पर पीड़ित ने जहर खा लिया. इससे वहां अफरातफरी मच गयी और आनन-फानन में उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां पर प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर स्थिति में उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया गया है. पीड़ित अजय कुमार काको थाना क्षेत्र के खपुरा गांव का रहनेवाला है.

जहानाबाद . सिविल सर्जन कार्यालय में शनिवार को मेडिकल बोर्ड की बैठक के दौरान इंज्यूरी रिपोर्ट को गंभीर की जगह नॉर्मल बनाने पर पीड़ित ने जहर खा लिया. इससे वहां अफरातफरी मच गयी और आनन-फानन में उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां पर प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर स्थिति में उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया गया है. पीड़ित अजय कुमार काको थाना क्षेत्र के खपुरा गांव का रहनेवाला है. सदर अस्पताल में पीड़ित अजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2020 में बच्चों के लूडो खेलने के विवाद को लेकर गांव में झगड़ा हुआ था, जिसमें गड़ासे से उसके सिर और अन्य जगहों पर गहरा वार किया गया था. इस मामले में डॉक्टर ने पहले उसे ग्रिवियस इंज्यूरी की रिपोर्ट दी थी, लेकिन बाद में उस रिपोर्ट को वापस लेकर उसे नॉर्मल इंज्यूरी का रिपोर्ट दिया गया. उसके बाद से वह अपनी इंज्यूरी रिपोर्ट को फिर से ग्रिवियस कराने के लिए सिविल सर्जन कार्यालय का चक्कर लगाता रहा. इसके बाद वह डीएम से मिला, तो डीएम के निर्देश के बाद मेडिकल बोर्ड की बैठक बुलायी गयी थी. यहां भी उसकी इंज्यूरी को नॉर्मल बताया गया. पीड़ित ने आरोप लगाया कि कोर्ट के दो डॉक्टरों ने उससे एक लाख रुपये की मांग की थी और नहीं देने पर इंज्यूरी नाॅर्मल करने की धमकी दी. इस पर उसने जहर खाने की धमकी दी, तो डॉक्टरों ने कहा कि जो करना है कर लो. डीएम ने सदर अस्पताल के अधीक्षक को हटाने का दिया निर्देश डीएम जिलाधिकारी अलंकृता पांडेय ने जहानाबाद के सिविल सर्जन देवेंद्र प्रसाद को सदर अस्पताल के अधीक्षक को उनके पद से हटाने का निर्देश दिया है. सिविल सर्जन कार्यालय में जहर खाने के मामले पर उन्होंने कहा कि वह हमारे जनता दरबार में आया था, जिसके बाद इस मामले में सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया था. उन्होंने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले को वह देखेंगी. क्या कहते हैं अधिकारी मेरे कार्यालय में हुई मेडिकल बोर्ड की बैठक में अजय कुमार उपस्थित हुआ था. उसके पास घटना के समय के प्राइवेट एक्स-रे केंद्र की रिपोर्ट थी, जिसके आधार पर पहले ग्रिवियस इंज्यूरी रिपोर्ट दी गयी थी, लेकिन सरकारी अस्पताल की रिपोर्ट आने के बाद नॉर्मल इंज्यूरी की रिपोर्ट बनायी गयी.. बोर्ड के डॉक्टरों के पैसे मांगने का आरोप गलत है. जहर खाने की जानकारी नहीं है. देवेंद्र प्रसाद, सिविल सर्जन, जहानाबाद

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