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Jitiya Vrat 2023: औरंगाबाद में नकल पर्व के रूप में मनाया जाता है जितिया व्रत, जानें क्या होता है खास

औरंगाबद में दाउदनगर अनुमंडल मुख्यालय के चार जीमूतवाहन चौकों पर ओखली रखकर जिउतिया पर्व की शुरुआत की जाती है. यहां कई इलाकों में भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित है, जहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.

Jitiya Vrat 2023: मां अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी शुक्रवार, 6 अक्टूबर को जिउतिया व्रत रखेंगी. बिहार के औरंगाबाद जिले का दाउदनगर शहर में जिउतिया मनाने का विशिष्ट ढंग है, जो काफी मशहूर है. यहां इसे नकल पर्व के रूप में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. यहां जिउतिया पर्व के दौरान स्थानीय लोक कलाकार करीब एक सप्ताह तक हंसी-मजाक, व्यंग-विनोद ,गीत- संगीत नृत्य, रहस्य रोमांच व साहसिक कारनामे करने-दिखाने में लिप्त रहते हैं.

दाउदनगर में जिउतिया पर निकाली जाती है झकियां

दाउदनगर में जिउतिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत बड़े ही धूमधाम और रंगारंग रूप में मनाया जाता है. खासकर अंतिम तीन दिन यह पर्व चरमोत्कर्ष पर रहता है. इस दिन नकल बनने के लिए बच्चे युवा-अधेड़ आदि में होड़ सी लगी रहती है. नकल बनने वाले कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक साहसिक करतबों की प्रस्तुति किया जाता है. नकल के माध्यम से सम-सामयिक घटनाओं व सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार किया जाता है. विभिन्न प्रकार की झांकियां निकाली जाती है. स्थानीय लोक कलाकार नकलों की प्रस्तुति कर अपनी लोक कला का प्रदर्शन करते हैं. खासकर अंतिम तीन दिनों तक तो नकलों की भरमार रहती है.

ओखली रखकर होती है व्रत की शुरुआत

दाउदनगर अनुमंडल मुख्यालय के चार जीमूतवाहन चौकों पर ओखली रखकर जिउतिया पर्व की शुरुआत की जाती है. दाउदनगर शहर के कसेरा टोली, पटवाटोली इमली तल, बाजार चौक व पुराना शहर चौक पर भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित है, जहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. जीवितपुत्रिका व्रत के दिन तो दिन से लेकर रात तक व्रती महिलाओं की भीड़ लगी रहती है. व्रती महिलाएं पहुंचकर पूजा-अर्चना करती हैं.

आश्विन कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है यह पर्व

जिउतिया आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. यह पर्व तीन दिनों का होता है. एक दिन नहाय खाय यानी सप्तमी को माताएं स्नान करके भोजन करती हैं. अष्टमी को उपवास रखा जाता है और पूजा किया जाता है और नवमी की सुबह में उपवास तोड़ कर पारण किया जाता है. दाउदनगर की खासियत यह है कि यहां इस पर्व का आरंभ अनंत पूजा के दूसरे दिन यानी आठ-नौ दिन पहले से ही हो जाता है. भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. पूजा करने के लिए दाउदनगर में चार चौक बने हुए हैं. जीमूत वाहन चौकों पर ओखली रखकर जिउतिया पर्व प्रारंभ कर दिया जाता है. वैसे तीन दिवसीय जिउतिया पर्व पांच से लेकर सात अक्टूबर तक है.

163 वर्ष पुराना है इतिहास

पूर्व वार्ड पार्षद एवं कसेरा टोली चौक के सेवक जगन्नाथ प्रसाद कांस्यकार ने बताया कि दाउदनगर में भगवान जीमूत वाहन के चार मंदिर हैं. कसेरा टोली में यह त्योहार 163 वर्षों से मनाया जा रहा है, जिसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. अपने संतान के दीर्घायु होने एवं सुख समृद्धि की कामना की लेकर व्रती महिलाएं इस व्रत को करती हैं.

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छह अक्टूबर को मनेगी जीतिया

आचार्य राकेश झा ने बताया कि काशी के महावीर पंचांग के अनुसार शुक्रवार छह अक्टूबर को अष्टमी तिथि सुबह 9 : 25 से शुरू होकर शनिवार सात अक्टूबर की सुबह 10:21 बजे तक रहेगा. वहीं मिथिला पंचांग के मुताबिक अष्टमी तिथि छह अक्टूबर की सुबह 9 :35 बजे से शुरू होकर सात की सुबह 10:32 बजे तक है. इसलिए शनिवार को अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद ही व्रती पारण करेंगी.

मिथिला व काशी पंचांग के अनुसार व्रत मुहूर्त

  • जितिया व्रत : 28 घंटे (प्रदोष एवं चंद्रोदय व्यापिनी अष्टमी में)

  • सरगही या ओठगन : 5 अक्तूबर

  • जिउतिया व्रत- उपवास : 6 अक्तूबर

  • पारण : 7 अक्तूबर की सुबह 10:32 बजे के बाद

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