भभुआ. सरकार की मनरेगा योजना से अब ग्रामीण क्षेत्रों में 157 नये खेल मैदानों का निर्माण कराया जायेगा. इन खेल मैदानों पर गैलरी, चेजिंग रूम, प्रसाधन कक्ष आदि की भी सुविधा भी खिलाड़ियों को उपलब्ध होगी. खेल मैदानों को निर्माण को लेकर ग्रामीण विकास विभाग बिहार सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास विभाग कैमूर द्वारा इस बिंदु पर काम आरंभ करा दिया गया है. गौरतलब है कि कुछ माह पहले ग्रामीण विकास विभाग के सचिव स्तर से जिला पदाधिकारियों और उप विकास आयुक्तों को पत्र जारी कर मनरेगा योजना से खेल मैदानों का निर्माण कराने का निर्देश दिया गया था. इसमें कहा गया था कि खेल मैदानों का निर्माण दो चरणों में कराया जायेगा. प्रथम चरण में खेलकूद की आधारभूत सुविधाओं का निर्माण कराया जायेगा. जबकि, दूसरे चरण में सृजत खेल सुविधाओं के साथ गैलरी, चेंजिंग रूम, प्रसाधन कक्ष सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण कराया जायेगा. लेकिन, प्रथम चरण के क्रियान्वयन के समय ही गैलरी, चेंजिंग रूम, प्रसाधन कक्ष आदि के निर्माण से संबंधित स्थल चयन कर लिए जायेंगे. पत्र के अनुसार सरकार स्तर से इसका प्राक्कलन भी तैयार कर लिया गया है. इसके अनुसार बड़े खेल मैदानों के निर्माण पर लगभग 10 लाख रुपये तथा छोटे खेल के मैदानों पर लगभग सवा नौ लाख रुपये खर्च किये जाने का अनुमान है. इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर मनरेगा के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि नये खेल मैदानों के लिए स्थल चयनित कर लिया गया है, कुल 157 खेल मैदान बनाये जायेंगे. सरकार की योजना प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक खेल मैदान बनाने की है. = खेल मैदानों के लिए डेढ़ एकड़ भूमि की जरूरत सरकार स्तर से जारी पत्र के अनुसार प्रथम चरण के खेलकूद मैदानों पर खेलकूद की आधारभूत संरचनाओं का निर्माण मार्च 2025 तक ग्रामीण क्षेत्रों में बहाल करने का लक्ष्य सरकार द्वारा रखा गया है. खेल मैदानों के लिए लगभग डेढ़ एकड़ भूमि की जरूरत बतायी गयी है. लेकिन, जगह की उपलब्धता और स्थानीय आवश्यकता के अनुसार इन खेल मैदानों के निमार्ण में आंशिक फेरबदल भी किया जा सकता है. इन खेल मैदान पर दौड़ ट्रैक, बास्केटबॉल कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, बॉलीवाॅल कोर्ट, लॉग जंप और हाई जंप आदि के प्रैक्टिस की सुविधाएं बहाल होंगी. साथ ही इन खेल मैदानों पर एक भंडार कक्ष का भी निर्माण कराया जायेगा. इधर, इस संबंध जिला प्रोग्राम पदाधिकारी मनरेगा ने बताया कि खेल मैदानों के लिए कहीं एक एकड़ तो कहीं दो एकड़ तो कहीं चार एकड़ तक की भूमि भी उपलब्ध है. भूमि के उपलब्धता के आधार पर नया प्राक्कलन तैयार कराया जा रहा है. नये प्राक्कलन को सरकारी स्वीकृति मिलने के साथ ही खेल मैदानों का निर्माण कार्य शुरू करा दिया जायेगा. इन्सेट खेल मैदानों के अभाव में खेतों में खेलते हैं बच्चे भभुआ. सरकार की मनरेगा योजना से खेल मैदानों के निर्माण की योजना अगर मूर्त रूप लेती है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के विकास की एक नयी पटकथा लिखने का दौर शुरू हो जायेगा. क्योंकि, वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम ही ऐसे खेल मैदान हैं जहां पर खेलकूद करने के लिए एक सिस्टमेटिक व्यवस्था लागू हो. क्योंकि, खेल मैदानों का विकास या रख खाव की जिम्मेदारी अधिकांश क्षेत्रों में ग्रामीण समितियों के ही ऊपर पड़ी है. कुछ विद्यालयों के खेल मैदान भी ऐसे है जहां खिलाडियों के बजाय आवारा पशुओं का ही जमावड़ा बना रहता है. मिलाजुला कर गांवों में खेल मैदानों की आधारभूत संरचना बहुत कम दिखाई देती है. कितने गांवों में तो खेलने के लिए अब मैदान ही नहीं बच गया है. खेलकूद करने वाले बच्चे खेतों में क्रिकेट और फुटबॉल का बॉल उड़ाते हैं. इन उबड़ खाबड़ खेल मैदानों पर खेलने के दौरान कई बच्चे घायल भी हो जाते हैं. ऐसे हालात में अगर सुसज्जित खेल मैदानों का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में करा दिया जाता है तो बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाएं भी जिला, राज्य व देश स्तर पर अपने प्रदर्शन का लोहा मनवा सकती हैं.
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