टीबी सुपरवाइजर का जितना काम, उतना वेतन देने का दिया आदेश भभुआ कार्यालय. सोमवार को कैमूर डीएम सावन कुमार की ओर से राजस्व व भूमि सुधार विभाग की जब समीक्षा की गयी, तो सभी अंचल अधिकारियों ने यह रिपोर्ट दी कि उनके यहां परिमार्जन का एक भी मामला लंबित नहीं है, जबकि डीएम के जनता दरबार में प्रतिदिन परिमार्जन के लंबित होने की शिकायत लोगों की ओर से की जाती है. डीएम ने दिये गये आंकड़े को फर्जी बताते हुए सभी अंचल अधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग की थी. वहीं अब मंगलवार को जब उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक की, तो यहां भी आंकड़ों का बड़ा फर्जीवाड़ा डीएम की बैठक में सामने आया है, जहां आंकड़े में दिखाया गया था कि शत प्रतिशत टीकाकरण किया गया है, जबकि बीसीजी का टीका महज 50 प्रतिशत नवजात बच्चों को दिया गया था. ऐसे में शत प्रतिशत टीकाकरण का आंकड़ा फर्जी पाया गया है. डीएम ने इसके लिए संबंधित अधिकारियों व कर्मियों को फटकार लगायी. बीपी व शुगर के मरीजों को चिह्नित करने में फर्जीवाड़ा डीएम ने जब गैर संचारी रोग जैसे बीपी व शुगर के मरीजों की ग्राम स्तर पर की जाने वाली स्क्रीनिंग की समीक्षा शुरू की, तो पता चला कि आशा की ओर से जिन मरीजों की सूची बनायी जाती है, इसी सूची को एएनएम व सीएचओ की ओर से बगैर स्क्रीनिंग किये आंकड़े में शत प्रतिशत दिखा दिया जाता है, जबकि नियम के अनुसार जितने भी मरीज को लेकर आशा आयेगी, उनके बीपी व शुगर जांच करनी होती है और तब यह रिपोर्ट तैयार करनी है कि कितने मरीजों के बीपी व शुगर की जांच की गयी है. उसमें कितने मरीज बीपी व शुगर के पाये गये, जबकि रिपोर्ट में स्क्रीनिंग की संख्या दी गयी थी, लेकिन कितने बीपी व शुगर के मरीज मिले, इसका कोई आंकड़ा नहीं लिखा गया था. यह देखते ही डीएम ने कहा कि यह आंकड़ा पूरी तरह से फर्जी है, सिर्फ फर्जी आंकड़े देकर खानापूर्ति की जा रही है. जो आशा के द्वारा उत्तर दिया जा रहा है, उन मरीजों के बगैर जांच किये ही सिर्फ डाटा इंट्री की जा रही है. इसको लेकर डीएम ने बैठक में इसके लिए जिम्मेदार सभी पदाधिकारी एवं कर्मियों को फटकार लगायी है. अगली बार से स्क्रीनिंग में कितने बीपी व शुगर के मरीज मिले हैं, इसकी विधिवत संख्या भी इंट्री करने का निर्देश दिया गया है. परिवार नियोजन का 50 प्रतिशत लक्ष्य पूरा नहीं करने पर काटा वेतन डीएम ने समीक्षा के क्रम में पाया कि जिले में प्रखंड वार जो परिवार नियोजन का लक्ष्य दिया गया है, उसका 50 प्रतिशत भी प्रखंडों की ओर से पूरा नहीं किया गया है. इसके लिए परिवार नियोजन परामर्श को जिम्मेवार मांगते हुए उनके वेतन से 50 प्रतिशत राशि कटौती करने का निर्देश डीएम ने दिया है. साथ ही भभुआ सदर अस्पताल के परिवार कल्याण परामर्श रामप्रवेश ठाकुर के ऊपर विभागीय कार्रवाई करने के लिए विभाग को पत्र लिखने का डीएम आदेश दिया. डीएम ने स्वास्थ्य विभाग की स्थिति पायी खराब समीक्षा के दौरान डीएम सावन कुमार ने पाया कि सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से जो भी योजनाएं चलायी जा रही हैं, उनका सही ढंग से कर्मियों की ओर से जमीन पर क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है. डीएम सावन कुमार ने कहा कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य को लेकर काफी गंभीर है. इसे लेकर सुदूर ग्रामीण स्तर पर कई योजनाएं चल रही हैं. लेकिन, कर्मियों की ओर से घोर लापरवाही बरती जा रही है. इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जायेगी. बैठक में डीएम के अलावा सिविल सर्जन डॉक्टर मीना कुमारी, डीपीएम ऋषिकेश जायसवाल, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार, एमसीडी के प्रभारी डॉ राज नारायण, टीकाकरण के प्रभारी डॉक्टर आरके चौधरी, डॉक्टर सत्य स्वरूप सहित सभी पीएचसी व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी बीएचएम और बीसीएम मौजूद रहे. अब हर माह डीएम अलग से करेंगे बैठक भभुआ कार्यालय. सदर अस्पताल एवं अनुमंडल अस्पताल की व्यवस्था में सुधार के लिए कैमूर डीएम सावन कुमार की ओर से नयी शुरुआत की जा रही है. इसके तहत वे सदर अस्पताल के सभी विभाग अध्यक्षों के साथ अलग से 22 अगस्त को बैठक करेंगे. इसके बाद 29 अगस्त को अनुमंडलीय अस्पताल मोहनिया के चिकित्सक व कर्मियों के साथ बैठक करेंगे. अब तक स्वास्थ्य विभाग की एक साथ समीक्षा बैठक होती थी. लेकिन, डीएम को ऐसा महसूस हुआ कि सदर अस्पताल एवं अनुमंडल अस्पताल जिले की रीढ़ हैं. ऐसे में यहां की व्यवस्था और बेहतर करने के लिए उनके द्वारा सदर अस्पताल के सभी विभाग अध्यक्षों के साथ अलग से बैठक करने का निर्णय लिया गया है, जहां भी अगर बैठक में कमियां नजर आती हैं. इसको लेकर कोई शिकायत मिलती है, तो डीएम की ओर से सीधे तौर पर निर्देशित कर व्यवस्था में सुधार के लिए आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है