भभुआ सदर. शून्य से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के उद्देश्य से जिले में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम निरंतर चलाया जा रहा है. इसको लेकर जिलास्तर से लेकर वार्ड स्तर तक निगरानी की जा रही है, ताकि कोई भी बच्चा व गर्भवती महिला नियमित टीकाकरण का लाभ लेने से वंचित न रहे. ऐसे में सरकार ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए बड़ी पहल शुरू की है, जिसमें बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए फ्रेक्शनल डोजेस ऑफ इनएक्टिवेटेड पोलियो वायरस (एफआइपीवी) वैक्सीन की तीसरी खुराक यानी नवजातों को दी जाने वाले वैक्सीन की तीसरी डोज देने का निर्णय लिया है, जो शिशुओं के नौ माह के होने पर दी जायेगी. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ आरके चौधरी ने बताया कि इसकी शुरुआत इस साल की पहली तिथि से की जा चुकी है और एक जनवरी के बाद से जिले के सभी बच्चों को एफआइपीवी वैक्सीन की तीन खुराक दी जा रही है. जिन बच्चों को दो खुराक मिली है, उन्हें छह सप्ताह पर एफआईपीवी 1 और 14 सप्ताह पर एफआईपीवी -2, उन्हें अब एक जनवरी से 09 महीने के होने पर एमआर-1 के टीके के साथ एफआइपीवी की तीसरी खुराक दी जायेगी, जिन्हें एक जनवरी से पहले एमआर -1 की खुराक मिल चुकी है, उन्हें एफआईपीवी-3 की खुराक नहीं दी जायेगी. = बीमारियों से बचाव के टीका लगाना जरूरी जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ आरके चौधरी ने बताया कि नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए उचित देखभाल बेहद जरूरी है. इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान उसकी मां का ही होता है. इसमें थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन जाती है और नवजात बार-बार बीमार होने लगता है. टीकाकरण से बच्चों के शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है, जिससे वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित होते हैं. = टीकाकरण से बच्चे नहीं आते बीमारियों की चपेट में डीआईओ के अनुसार बच्चों के नियमित टीकाकरण से वे जल्दी किसी भी बीमारी की चपेट में नहीं आते हैं. उन्होंने बताया कि छह जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाना सभी बच्चों के लिए जरूरी होता है. खसरा, टेटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलघोटू, काली खांसी और हेपेटाइटिस-बी जैसे रोगों से बचने के लिए समय पर टीकाकरण जरूरी है. कुछ टीके गर्भवती महिलाओं को भी लगाये जाते हैं, जिससे उन्हें व होने वाले शिशु को टेटनेस व अन्य गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके. =वैक्सीन लगाने से 90 प्रतिशत तक इम्युनिटी बढ़ोतरी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ सिंह ने बताया कि अब तक पोलियो की बीमारी से बचाने के लिए शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को दो डोज लगायी जाती थी. यह डोज बच्चों को छह और 14 सप्ताह में लगायी जा रही थी, लेकिन अन्य देशों में पोलियो के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को एफआइपीवी वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने का निर्णय लिया है. तीसरी डोज के रूप में एफआइपीवी वैक्सीन लगने से बच्चों में 90 प्रतिशत तक इम्युनिटी में बढ़ोतरी हो सकेगी.
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