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त्योहार बाद चरमरायी सफाई व्यवस्था

डेंगू व मलेरिया आदि जैसे रोगों के प्रकोप के बीच इससे बचाव का एक मात्र विकल्प बेहतर साफ-सफाई और स्वच्छता होती है. लेकिन, इन दिनों बड़े त्योहारों के संपन्न होने के बाद नगर पर्षद के विभिन्न वार्डों में साफ-सफाई व्यवस्था काफी चरमरा गयी है

भभुआ सदर. डेंगू व मलेरिया आदि जैसे रोगों के प्रकोप के बीच इससे बचाव का एक मात्र विकल्प बेहतर साफ-सफाई और स्वच्छता होती है. लेकिन, इन दिनों बड़े त्योहारों के संपन्न होने के बाद नगर पर्षद के विभिन्न वार्डों में साफ-सफाई व्यवस्था काफी चरमरा गयी है. वहीं, इसके कारण लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें बीमार होने का खतरा बन रहा है. शहर के पश्चिम बाजार, छावनी मुहल्ला, प्रोफेसर कॉलोनी, अष्टभुजी चौक, चकबंदी रोड, सब्जी मंडी आदि कई ऐसे इलाके हैं, जहां इन दिनों साफ-सफाई पूरी तरह से अवरूद्ध नजर आ रही है. सफाई कर्मी द्वारा मनमाने ढंग से काम को टालते हुए कार्य किया जा रहा है. इसके कारण इलाकों में सफाई के बावजूद कचरा पसरा हुआ रह रहा है. हाल फिलहाल नगर पर्षद ने बाजार के दुकानदारों को सख्त ताकीद की थी कि दुकानों से निकलने वाले कूड़े को वह नाली में नहीं डालेंगे, बल्कि कूड़ा कचरा के लिए डस्टबिन रखेंगे और नहीं रखने पर जुर्माना किया जायेगा. लेकिन, मॉनिटरिंग के अभाव में अभी भी अधिकतर दुकानदार डस्टबिन ना रखकर नालियों में ही कूड़े को डाल दे रहे हैं. = त्योहार बाद नहीं हो रही साफ-सफाई की समुचित मॉनिटरिंग दरअसल, पर्व-त्योहार बीतने के बाद इन दिनों सफाई कर्मियों द्वारा किये जा रहे कार्य की अधिकारियों द्वारा सही से मॉनिटरिंग नहीं हो रही है. सरकारी कार्यों आदि में पदाधिकारियों की व्यस्तता या अनदेखी का इन सफाई कर्मचारियों ने भी भरपूर फायदा उठाया है, जिसके कारण वे मनमाने अंदाज में आधे-अधूरी ही वार्डों की सफाई कर रहे और जहां तहां कूड़ा-कचरा छोड़ दे रहे हैं. इससे कई वार्डों के गली-मुहल्लों में रहनेवाले लोग पूरी तरह त्रस्त हैं. = नहीं हो रहा हरेक घरों से कचरे का उठाव इधर, कई दिनों से नगर क्षेत्र में हर घर से हो रहे कचरे का उठाव पूरी तरह सुस्त स्थिति में है, जिसके कारण आम लोगों को अपने घर के कचरे को अपने आस-पास ही कहीं सड़क पर फेंकनी पड़ रही है. पूरे दिन कचरा सड़कों पर जहां-तहां पसरा रहता है. सफाई कर्मचारी द्वारा इन कचरों को सही से नहीं उठाया जाता, जिसके कारण कचरे से उठने वाली दुर्गंध और सड़ांध की बदबू से लोगों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. कुल मिलाकर लोगों को इस लचर साफ-सफाई की व्यवस्था से काफी परेशानी हो रही है. जबकि, शहर की साफ सफाई पर हर माह 20 लाख से अधिक रुपये खर्च हो रहे है. = पहली प्राथमिकता है शहर की सफाई शहर के मुहल्लों में बेहतर सफाई नहीं करने के संबंध में नप इओ संजय उपाध्याय ने बताया कि शहर की बेहतर साफ-सफाई नगर पर्षद की पहली प्राथमिकताओं में है. साफ-सफाई की व्यवस्था की सही मानिटरिंग बेहद जरूरी है. जिस इलाके में इस प्रकार की गड़बड़ी है, उसे जल्द से जल्द व्यवस्थित कर बेहतर किया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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