भभुआ कार्यालय. राजस्व व भूमि सुधार विभाग के मंत्री लगातार यह बयान दे रहे हैं कि अगर विभाग के अधिकारियों ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं लाया, तो उन पर कार्रवाई की जायेगी. लेकिन, राजस्व व भूमि सुधार विभाग में गंभीर किस्म की गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी किस तरह से कार्रवाई हो रही है, इसका एक बड़ा उदाहरण कैमूर के रामपुर में पदस्थापित पूर्व सीओ अखिलेश प्रसाद वर्मा पर हुई कार्रवाई के रूप में देखने को मिला. वर्ष 2017 में जब अखिलेश प्रसाद वर्मा रामपुर अंचल के अंचलाधिकारी के पद पर पदस्थापित थे, तो उनके खिलाफ तत्कालीन डीएम द्वारा विभागीय कार्यवाही के लिए राजस्व व भूमि सुधार विभाग को लिखा गया था. उनके खिलाफ आरोप पत्र के साथ विभाग को विभागीय कार्यवाही के लिए लिखा गया. लेकिन, गंभीर आरोप होने के बावजूद अखिलेश प्रसाद वर्मा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की फाइल आठ सालों तक दबा दी गयी. सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब वह रिटायर हो गये, तब उसके दो साल बाद यानी 2022 में अखिलेश प्रसाद वर्मा रिटायर हुए और अब 2024 में उन्हें 2017 में शुरू विभागीय कार्रवाई के मामले में दंड दिया गया है. इस कार्रवाई से सहज ही समझा जा सकता है कि जिस कछुए के चाल के साथ उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चली, उससे तो यह स्पष्ट हो रहा है कि राजस्व व भूमि सुधार विभाग गड़बड़ व मनमानी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर गंभीर नहीं है. साक्ष्य के बाद भी छह सालों तक नौकरी करते रहे सीओ रामपुर के पूर्व सीओ अखिलेश प्रसाद वर्मा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रारंभ होने के आठ साल बाद दिये गये दंड के मामले राजस्व व भूमि सुधार विभाग पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं. 2017 में तत्कालीन डीएम द्वारा श्री वर्मा पर सीनियर अधिकारियों के साथ मर्यादित भाषा का प्रयोग, भूमि रद्दीकरण वाद संख्या 1/ 2016-17 का अभिलेख त्रुटि निराकरण नहीं कर पत्र के माध्यम से अभिलेख को पुनः डीएम के पास भेजना, अनुपस्थित रहने के बावजूद अवैध तरीके से वेतन की निकासी कर लेना, सरकारी आवास में रहने के बावजूद सरकारी आवास का भत्ता लेना व अनावश्यक रूप से समाहरणालय में बगैर काम के घूमने सहित सीनियर अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करने जैसे गंभीर आरोप पत्र के साथ विभागीय कार्रवाई के लिए अक्तूबर 2017 में डीएम द्वारा विभाग को भेजा गया था. विभाग द्वारा जब उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों को लेकर जब स्पष्टीकरण पूछा गया, तो वह विभागीय कार्रवाई में बचाव के लिए न तो उपस्थित हुए और ना ही स्पष्टीकरण दिया. हालांकि, बाद में व्हाट्सएप के माध्यम से उन्होंने जवाब दिया था. फिर भी इस तरह की मनमानी करने के बावजूद वह लगातार छह सालों तक बगैर किसी डर के नौकरी करते रहे. यहां उनके ऊपर डीएम द्वारा इस तरह का गंभीर आरोप लगाते हुए लिखने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई उस समय नहीं की गयी, बल्कि उनके विभागीय कार्रवाई की फाइल को ही दबा दिया गया. इस तरह श्री वर्मा 2022 में अपने मनमानी और विभाग के नियमों के विरुद्ध काम करते हुए बगैर किसी डर भय के बड़े आराम से रिटायर हो गये. रिटायरमेंट तक विभागीय कार्रवाई की उनकी फाइल दबी रही, ऐसे में समझा जा सकता है कि जब डीएम द्वारा विभागीय कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा गया और उस फाइल को श्री वर्मा दबा दिये, तो उसके बाद वह किस तरह से मनमाने ढंग से नियमों के विरुद्ध कार्य कर रहे होंगे. श्री वर्मा ने अपने पैरवी और पहुंच के दम पर डीएम के पावर को ही छोटा बता दिया. अगर विभाग इस तरह से डीएम के लिखे जाने के बावजूद मामले में सुस्ती भर आता है तो निश्चित रूप से उक्त विभाग के अधिकारी निडर होंगे और उनमें डीएम जैसे सीनियर अधिकारियों व कार्रवाई का डर नहीं रहेगा, यह कार्रवाई राजस्व व भूमि सुधार विभाग को आइना दिखाने का काम कर रहा है. अधिक निकासी की गयी राशि की वसूली करने का निर्देश आठ साल पहले 2017 में श्री वर्मा के खिलाफ जो विभागीय कार्रवाई तत्कालीन डीएम के लिखे जाने पर शुरू की गयी थी, उसमें अब 19 अक्तूबर 2024 को विभाग ने श्री वर्मा के पेंशन से 10 प्रतिशत राशि दो वर्ष तक कटौती का दंड दिया है. इसके साथ ही श्री वर्मा द्वारा जो अधिक राशि की निकासी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए की गयी है, उसे राशि की भी वसूली करने का निर्देश कैमूर डीएम को दिया गया है. बड़ा सवाल यह है कि रिटायरमेंट के बाद उनके पेंशन से 10 प्रतिशत राशि की कटौती तो कर ली जायेगी, लेकिन विभागीय कार्रवाई के लिए लिखे जाने के बावजूद फाइल को दबवा कर अपने बचे हुए 6 सालों की सेवा में जो उन्होंने गड़बड़ी व मनमानी किये होंगे, उसके लिए आखिर जिम्मेवार कौन है, उसकी भी जांच कर चिह्नित करते हुए राजस्व व भूमि सुधार विभाग को कार्रवाई करने की जरूरत है, अन्यथा इसी तरह से गड़बड़ करने वाले अधिकारी पैरवी व पहुंच के दम पर आगे भी गड़बड़ी करते रहेंगे.
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