भभुआ. रबी फसलों की बुआई का सीजन शुरू हो चुका है. किसान गेहूं के बीज को लेकर बाजारों की ओर घूम चुके हैं. बावजूद इसके अभी जिला कृषि विभाग के पास गेहूं का संसोधित, प्रमाणित या अनुशंसित किसी भी श्रेणी का बीज उपलब्ध नहीं है. जबकि, कृषि विभाग के अनुसार इस साल विभाग द्वारा किसानों को 11 हजार 786 क्विंटल गेहूं का बीज उपलब्ध कराया जाना है. जिले में धान की कटनी रफ्तार पकड़ चुकी है. किसान फटाफट धान काट कर गेहूं बोने की तैयारी भी शुरू कर दिये हैं. क्योंकि, 15 नवंबर से गेहूं की बुआई का सीजन आरंभ हो जाता है. जिन किसानों ने रोहणी नक्षत्र का बीज रोपा था, उन किसानों ने धान काटकर गेहूं की बुआई के लिए खेत भी तैयार करना शुरू कर दिया है. इधर, इस संबंध में चांद थाना क्षेत्र के अईलाय गांव के किसान सुचित सिंह, भगवानपुर थाना क्षेत्र के नौगढ़ गांव के किसान दशरथ सिंह, पतरहियां गांव के किसान ददन पांडेय आदि ने बताया कि सरकार द्वारा प्रखंडों में सरकारी बीज का वितरण कराया जा रहा है. लेकिन, गेहूं का बीज नहीं मिल रहा है. सरकारी बीज में सरसों, चना, मटर, और मंसूर का बीज ही अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है. जबकि, गेहूं के खेत तैयार होने के पोजिशन में हैं. बीज मिल जाये तो तत्काल बुआई शुरू हो जायेगी. किसानों का कहना था वैसे अभी भी समय है, अगर एक सप्ताह के अंदर गेहूं का बीज उपलब्ध हो जाता है तो खेती पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. लेकिन, लेट होने पर गेहूं की खेती पिछड़ जायेगी. इस संबंध में जब जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण से बात की गयी, तो उनका कहना था कि जिले को अभी गेहूं के बीज का आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया है. उम्मीद है जल्द ही गेहूं का संशोधित और प्रमाणित बीज जिले को प्राप्त हो जायेगा. बीज प्राप्त होते ही प्रखंडों को उपावंटित करके वितरण शुरू करा दिया जायेगा. = जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि इस साल 11 हजार 786 क्विंटल बीज प्राप्त होना है. उससे विभिन्न क्लस्टर्स में ऑन लाइन आवेदन किये किसानों के बीच वितरित किया जायेगा. गेहूं का बीज किसानों को अनुदान पर वितरित कराया जाना है. यह बीज उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिन्होंने इस साल बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन कर रखा है. उन्होंने बताया कि अभी तक 20 हजार 258 किसानों का ऑन लाइन आवेदन जिले को प्राप्त हो चुका है. इसमें से 4458 किसानों को मटर, चना, सरसों तथा मंसूर का बीज अनुदान पर दिया भी जा चुका है. गेहूं छोड़ कर मटर, चना, सरसों तथा मंसूर का बीज उपलब्ध है. गौरतलब है कि सरसों, चना, मटर, मंसूर तथा गेहूं को मिलाकर समेकित रबी फसलों का 14904 क्विंटल सरकारी बीज जिले को प्राप्त होना है. इन्सेट 1 50 से 90 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध होगा सरकारी बीज भभुआ. विभिन्न रबी फसलों के बीज किसानों को 50 से 90 प्रतिशत सरकारी अनुदान पर उपलब्ध कराया जाना है. विभागीय जानकारी के अनुसार, सरसों का 123 रुपये किलो के दर का सरकारी बीज अनुदान काटकर किसानों को 24 रुपये 60 पैसे की दर से उपलब्ध कराना है. तीसी के 120 रुपये प्रति किलो दर का सरकारी बीज किसानों को अनुदान काट कर 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध कराना है. इसी तरह दलहन फसल में मंसूर का 133 रुपये 50 पैसे किलो का सरकारी बीज अनुदान काटकर किसानों को 26 रुपये 70 पैसे की दर से उपलब्ध कराना है. चना का 120 रुपये प्रति किलोग्राम का सरकारी बीज किसानों को अनुदान काटकर 41 रुपये 28 पैसे की दर से उपलब्ध कराना है. जबकि, मटर का प्रति किलो 116 रुपये 50 पैसे के दर का सरकारी बीज किसानों को अनुदान काटकर 24 रुपये 90 पैसे प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराना है. जबकि, सरकार द्वारा मुख्यमंत्री तीव विस्तार योजना में किसानों को सबसे अधिक अनुदान पर गेहूं का बीज उपलब्ध कराना है. इस योजना में गेहूं का सरकारी दर 44 रुपये प्रति किलो वाला बीज किसानों को मात्र आठ रुपये में मिलेगा. जबकि, 10 वर्ष से नीचे के गेहूं का संशोधित बीज किसानों को अनुदान काट कर 23 रुपये 86 पैसा प्रति क्विंटल तथा 10 वर्ष से ऊपर का गेहूं का संशोधित बीज 28 रुपये 86 पैसा प्रति क्विंटल की दर से किसानों को दिया जायेगा. इन्सेट 2 बड़े पैमाने पर किसानों को नहीं मिल पाता अनुदानित दर का बीज भभुआ. जिले में जहां तक सरकार द्वारा अनुदानित दर पर रबी फसलों के बीज किसानों के बीच वितरित किये जाने की बात है, तो बड़े पैमाने पर जिले के किसानों को अनुदानित दर पर सरकारी बीज नहीं मिल पाता है. क्योंकि, कृषि विभाग द्वारा वितरित किये जाने वाले बीज विभिन्न श्रेणी में चयनित या ऑनलाइन निबंधन कराये वैसे किसान जिनको ओटीपी प्राप्त हुआ है को ही उपलब्ध कराया जाता है. इसी तरह सीधे बिहार राज्य बीज निगम द्वारा भी कृषि विभाग के अतिरिक्त वैसे किसानों को ही प्रमाणित बीज उपलब्ध कराया जाता है, जो बीज निगम से खरीदे धान या गेहूं के प्रमाणित बीजों का उत्पादन करने के बाद अपनी उपज बिहार राज्य निगम को बेचते हैं. जबकि, कृषि प्रधान इस जिले में किसानों की संख्या लाख से भी ऊपर है. ऐसे में बड़ी संख्या में किसानों को खुले बाजार से बीज विक्रेताओं की दुकान से बीज खरीदना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ता है.
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