मोहनिया सदर. गुरुवार की सुबह कटसरिया के समीप पिता के नदी में डूबने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके इकलौते पुत्र की हार्ट अटैक से मौत हो गयी. इस ह्रदय विदारक घटना से पूरा क्षेत्र गमगीन हो उठा, एक तरफ जहां पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस को लेकर उत्साह व उमंग था, वहीं गुरुवार की सुबह थाना क्षेत्र के बढुपर पंचायत के कटसरिया गांव में चारों तरफ मातमी सन्नाटा व चीख पुकार मचा हुआ था. क्योंकि, प्रतिदिन की तरह गुरुवार की सुबह अपनी भैंसों को नदी में धोने के लिए स्वर्गीय हरिवंश यादव के 80 वर्षीय वृद्ध पुत्र केशव यादव अपने कुछ साथियों के साथ घर से लगभग एक किमी दूरी पर प्रवाहित कुदरा नदी पहुंचे, बुधवार की रात हुई तेज बारिश से नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था, लेकिन केशव नदी के बढ़े जलस्तर को शायद भांप नही सके और भैंस का पूछ पकड़ कर उसको नदी में धोने लगे. इसी बीच भैंस गहरे पानी में जाने लगी, केशव ने भैंस को वापस किनारे पर लाने के लिए जैसे ही एक हाथ से भैंस को डंडा मारा वह तेज गति से गहरे पानी की तरफ बढ़ गयी और केशव के हाथ से भैंस की पूछ छूट गयी, जिससे केशव यादव नदी की तेज धारा में बहने लगे. केशव गहरे पानी से बाहर निकलने की कोशिश करते रहे. लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि नदी की धारा उनको बीच में खींच ले गयी. उनके साथ अपनी भैसों को लेकर नदी गये कटसरिया के ही रामदयाल सिंह व वैजनाथ सिंह ने केशव को बचाने का प्रयास किया, लेकिन नदी की प्रवाहित तेज धारा के सामने उनकी भी हिम्मत हार गयी और देखते ही देखते नदी की तेज धारा केशव को अपनी आगोश में लेकर बहा ले गयी. इससे वह नदी में डूब गये. केशव के नदी में नही मिलने पर परिजनों ने ददन यादव के शव को जमानिया ले जाकर उनका अंतिम संस्कार किया. हालांकि, ग्रामीणों द्वारा ददन यादव की मौत हार्ट अटैक से बतायी जा रही है. प्रभात खबर ददन यादव की मौत के कारणों की पुष्टि नहीं करता है. # रामदयाल व वैजनाथ चिल्लाते हुए पहुंचे गांव केशव जब नदी की तेज धारा में बहते हुए रामदयाल व वैजनाथ की आंखों से ओझल हो गये, तब दोनों चिल्लाते हुए गांव पहुंचे. मामले की जानकारी होते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण व केशव के इकलौते 55 वर्षीय पुत्र ददन यादव दौड़ते हुए नदी के किनारे पहुंचे. सभी लोग नदी तट से केशव को देखने का प्रयास कर रहे थे, तभी ददन यादव अचानक नदी के किनारे गिरे और उनकी घटना स्थल पर ही मौत हो गयी. अब केशव की तलाश छोड़ ग्रामीण ददन के शव को लेकर गांव पहुंचे, फिर क्या था गांव में चारों तरफ चीख-पुकार मचा गयी. # पुलिस दिखावा कर वापस लौट गयी ग्रामीणों ने इस ह्रदय विदारक घटना की जानकारी 112 नंबर मोबाइल पुलिस को फोन पर दी, मोबाइल पुलिस गांव पहुंची और यह कहते हुए वापस लौट गयी कि हम क्या कर सकते हैं. आप लोग अपने स्तर से नदी में केशव की खोज करिये, घटना की जानकारी होते ही बढुपर की बीडीसी सह प्रखंड प्रमुख पुनीता देवी के प्रतिनिधि राजेश प्रसाद गुप्ता ग्रामीणों के साथ घटना स्थल नदी तट पर व मृतक के घर पहुंचे और शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाते हुए अंचलाधिकारी व थानाध्यक्ष को फोन कर घटना की जानकारी दी, लेकिन सूचना मिलने के कई घंटा बाद सीओ व पुलिस पहुंची, लेकिन नदी की तेज धारा को देख केशव को नदी में खोजने की हिम्मत किसी में नहीं हुई. लगभग दोपहर बाद विधायक संगीता कुमारी मृतक के घर पहुंची व जिलाधिकारी को फोन कर घटना से अवगत कराया. इसके बाद डीएम ने पटना से एनडीआरएफ व गोताखोर मंगवा कर केशव की खोज कराने की बात कही. # पिता के नहीं मिलने पर नदी किनारे ही गिर पड़ा पुत्र ग्रामीणों की माने तो पिता के नदी में डूबने व उनके नहीं मिलने का सदमा ददन यादव बर्दाश्त नहीं कर सके, जिससे वह बेसुध होकर नदी के किनारे गिर पड़े और उनकी मौत हो गयी. ददन यादव अपने पिता केशव के अकेले पुत्र थे, ददन यादव की चार बेटियां है, उनका कोई पुत्र नहीं है. ददन ने अपनी गरीबी में बड़ी बेटी सिन्धू कुमारी की शादी असराढ़ी गांव में की है, जबकि दूसरी बेटी की शादी ओइना गांव में की है, उनकी दो बेटियां संदेशी कुमारी 19 वर्ष व निशा कुमारी 17 वर्ष की शादी करना अभी बाकी है. ददन यादव की मां अफाती देवी की पहले ही मृत्यु हो चुकी है. पुत्र की गरीबी को देखकर 80 साल की उम्र में केशव भैंस चराने का कार्य किया करते थे. # 24 घंटे बाद पहुंची एनडीआरएफ की टीम घटना के 24 घंटे बाद शुक्रवार की सुबह करीब 6:15 बजे नदी में डूबे केशव की खोज करने के लिए पटना से एनडीआरएफ व गोताखोरों की टीम गांव पहुंची व ग्रामीणों से जानकारी हासिल कर केशव को नदी में खोजने का कार्य शुरु कर दिया. एनडीआरएफ की टीम केशव की तलाश में नदी मार्ग से मोहनिया, रामगढ़ अंचल के आंटडीह से लेकर नुआंव अंचल के कारीराम तक लगभग नौ घंटे में लगभग 30 किमी से अधिक दूरी तक कर कुदरा नदी की जलधारा में खोज करती रही. लेकिन, 33 घंटे बाद भी केशव का कहीं पता नहीं चल सका था और अंततः थक हार कर शाम 03:26 बजे एनडीआरएफ की टीम नदी से बाहर निकल कर वापस लौटने की तैयारी में जुट गयी. इसकी जानकारी प्रमुख प्रतिनिधि राजेश प्रसाद गुप्ता द्वारा दी गयी. # अब विधवा उर्मिला के कंधों पर गृहस्थी व बेटियों का बोझ ससुर के नदी में डूबने व पति की मौत ने उर्मिला व दोनों बेटियों को बेसुध कर दिया है, उनकी आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है, सभी का रो-रो कर बुरा हाल है. विधवा उर्मिला पर एक तो गरीबी की मार है, तो दूसरी तरफ उनके कंधों पर दो बेटियों की देखभाल, भरणपोषण व शादी सहित गृहस्थी का बोझ आ गया है. उर्मिला व बेटियों को अब समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें. उर्मिला बार- बार बेसुध हो रही थी, तो बेटियां दहाड़ मारकर इस तरह विलाप कर रही थी कि देखने व सुनने वाले हर किसी की आंखों में आंसू थे. एनडीआरएफ की टीम नदी में केशव की खोज करती रही, लेकिन कहीं केशव का पता नहीं चल सका और टीम को बैरंग लौटना पड़ा.
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