कर्मनाशा. यूपी में बालू लदे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाये जाने से बिहार सीमा में आये दिन वाहनों की लंबी कतारें लग जा रही है, जिससे जीटी रोड पर जाम लगने की भी संभावना बढ़ जा रही है. गुरुवार की सुबह भी यूपी-बिहार बॉर्डर से लेकर चिपली तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रही. दरअसल, बिहार के डेहरी ऑनसोन के बालू की डिमांड यूपी के विभिन्न मंडियों में अत्यधिक है, जिससे इस समय बालू लदे वाहनों का आवागमन जीटी रोड पर काफी बढ़ गया है. वहीं, बिहार से बालू लोड कर आने वाले वाहनों को यूपी के खनन विभाग का टैक्स ऑनलाइन कटवाना पड़ रहा है, लेकिन यूपी के खनन विभाग के टैक्स की चोरी करने के लिए बालू लदे वाहन यूपी के चंदौली जिले में अधिकारियों के सड़क पर रहने की सूचना पर बिहार सीमा में ही जीटी रोड के किनारे खड़े हो जाते हैं. जब तक की अधिकारी सड़क से हट नहीं जाते, तब तक बालू लदे वाहन बिहार सीमा में ही खड़े रहते हैं. इसके चलते जीटी रोड से आवागमन करने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बुधवार को रात से ही बालू लदे वाहनों का चक्का बिहार सीमा में थमना शुरू हो गये और वाहनों की कतार बढ़ते हुए यूपी-बिहार बॉर्डर से लेकर चिपली तक पहुंच गयी. जब तक यूपी के अधिकारी सड़क से हटे नहीं, तब तक बालू लदे वाहन बिहार सीमा में ही खड़े रहे. परिणाम स्वरूप जीटी रोड पर बीच-बीच में रह रहकर जाम लगता रहा, वहीं भीषण जाम लगने की संभावना बनी रही. वहीं, दूसरी तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग जाने से काफी संख्या में वाहन रांग साइड से होकर गंतव्य की ओर सरपट दौड़ने लगे, जिससे घटना दुर्घटना होने की भी संभावना बढ़ती नजर आ रही है. चालकों का कहना है कि यूपी खनन विभाग का टैक्स कटा लेने के बाद गाड़ी वालों को कुछ बचता नहीं है. टैक्स नहीं कटाने के बाद वही पैसा गाड़ी वालों को बच जाता है. इसीलिए हम लोग बचते बचाते हुए यूपी सीमा में प्रवेश करते हैं, जैसे ही सूचना मिलती है कि यूपी में अधिकारी अब रोड पर नहीं है, हम लोग खुद बिहार सीमा से यूपी की ओर निकल जाते हैं. ओवरलोड वाहनों के कारण पुल का टूट गया था पिलर दरअसल, यूपी में चेकिंग के दौरान बालू लदे वाहन बिहार सीमा में खड़े हो जाते हैं. लेकिन, उन्हें कर्मनाशा नदी पुल पर गाड़ी नहीं खड़ा करना है. क्योंकि, पुल पर वजन काफी बढ़ जाता है. यहां कोरोना काल के समय पुल का पिलर दरक गया था. इससे पुल से वाहनों का आवागमन भी बंद हो गया था. उस समय एनएचएआइ के अधिकारियों का कहना था कि बालू लदे ओवरलोड वाहनों के कारण पुल का पिलर टूटा है. उसके बाद से ही एनएचएआइ के कर्मियों की ड्यूटी भी पुल पर लगायी गयी थी और जो भी वाहन पुल पर खड़े होते थे, उन्हें हटा दिया जाता था. लेकिन, गुरुवार को इस गंभीर मामले पर ध्यान नहीं दिया गया. इसका नतीजा रहा कि बालू लदे वाहन घंटों कर्मनाशा नदी पुल पर खड़े रहे. जब यूपी के अधिकारी सड़क से हटे, तभी बालू लदे वाहन यूपी सीमा के लिए रवाना हुए. अधिकारियों का मानना है कि जब तक पुल से वाहनों का आवागमन जारी रहेगा, पुल पर असर नहीं होगा. लेकिन, पुल पर खड़े हो जाने के बाद पुल पर असर पड़ता है. इसके बावजूद बालू लदे ट्रकों का पुल पर खड़े होना खतरे का संकेत देता है. आसपास के लोगों ने एनएचएआइ के अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है.
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