भभुआ सदर. सदर अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस इन दिनों गंदगी व कुव्यवस्था का पर्याय बन गया है. स्थिति यह है कि अपने प्रियजन को खोने का दर्द झेल रहे लोगों की मुश्किलें पोस्टमार्टम हाउस आकर और बढ़ जाती है. पोस्टमार्टम हाउस की ओर जाते ही हर कदम पर गंदगी व कुव्यवस्था से सामना होता है और वहां बैठना तो दूर खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है. अंदर का हाल देखकर लगता है जैसे यहां कभी साफ-सफाई होती ही नहीं. यहां उठती दुर्गंध से लोग अंदर प्रवेश करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं और शव के साथ आये लोगों की भी दुर्गंध से सांसें थमने लगती है. हाल फिलहाल मोहनिया से मिले एक अज्ञात शव को पहचान के लिए पोस्टमार्टम हाउस में 72 घंटे के लिए रखा गया है. लेकिन पड़ रही गर्मी और उमस से लावारिस रखे शव से दुर्गंध उठने लगी, जिसके चलते सदर अस्पताल के कर्मचारी से लेकर मरीज और उनके परिजन तक काफी परेशान हैं. = आठ साल पहले बने कमरे अब भी हैं खाली वर्ष 2016 में जब 50 लाख की लागत से अस्पताल परिसर में नया पोस्टमार्टम हाउस बन कर तैयार हुआ था, तो लगा कि इसकी हालत में कुछ सुधार होंगे और शवों का पोस्टमार्टम करने में डॉक्टरों व कर्मियों को भी काफी सहूलियत होगी. पोस्टमार्टम हाउस में एक साथ 40 शवों को रखे जाने की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन यह उम्मीद भी टूट गयी. पोस्टमार्टम हाउस को लेकर जिम्मेदार अधिकारी कितने लापरवाह हैं, इसका अंदाजा देख कर ही लगाया जा सकता है. क्योंकि, पोस्टमार्टम हाउस के अधिकतर कमरे अब भी नहीं खुले हैं और एसी और डीप फ्रीजर के रहने के बावजूद इन्हें शुरू करने की व्यवस्था तक नहीं की जा सकी है. अब डीप फ्रीजर के चालू नहीं होने से लावारिश शवों को कमरे के अंदर खुले फर्श पर ही रखना पड़ता है. = शुरू कराया जायेगा डीप फ्रीजर इस संबंध में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह का कहना था कि मर्चूरी हाउस में कई उपकरण लगाये जाने हैं. शव को सुरक्षित रखने के लिए डीप फ्रीजर भी जल्द ही शुरू कराया जायेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है