भभुआ ग्रामीण. देश में सासाराम (अजा) की लोकसभा सीट सियासी लिहाज से सुर्खियों में रही है. भारत को इसी सीट ने उप प्रधानमंत्री भी दिया है. आजादी के बाद से कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर नब्बे के दशक के बाद भाजपा इसमें सेंध लगाने लगी. सात बार कांग्रेस, तो पांच बार भाजपा इस सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है. इस बार भी राजनीति के जानकार कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर मान रहे हैं. हालांकि, यूपी का सीमावर्ती क्षेत्र होने से यहां की कई विधानसभा क्षेत्रों में बसपा का भी अच्छा खासा प्रभाव है. इस सीट से भाजपा के टिकट पर वर्ष 2014 और 2019 में जीते छेदी पासवान को पार्टी ने बेटिकट कर दिया, स्वास्थ्य कारणों से चुनाव से अपने को अलग रखा है. भाजपा ने शिवेश कुमार और कांग्रेस ने मनोज कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है. दोनों पार्टियों से चुनावी रण में आये नये चेहरों के बीच संघर्ष की तस्वीर पुरानी दिख रही है. शिवेश भाजपा से इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके स्व मुनिलाल के पुत्र हैं. भाजपा के टिकट पर अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वे इसके पहले भोजपुर के अगिआंव सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में 2010 में भाजपा का कमल खिला चुके हैं. कांग्रेस प्रत्याशी मनोज कुमार पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे. इस बार बसपा के टिकट पर संतोष कुमार यहां के चुनावी दंगल में ताल ठोक रहे हैं. इस सीट से कुल 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. सासाराम के रण को समझने के लिए पिछले चुनावी संघर्ष पर नजर डाल लेते हैं. स्व जगजीवन राम इस सीट से आजीवन सांसद रहे. वर्ष 1952 से 1972 तक के पांच चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीता. वर्ष 1984 उनका अंतिम चुनाव था. उनके निधन के बाद उनकी बेटी मीरा कुमार अपने पिता की इस सियासी जमीन पर 1989 के चुनावी रण में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार उतरी थीं. तब जनता दल के छेदी पासवान ने उन्हें 113656 मतों से पराजित किया था. छेदी को 306615 और मीरा को 192959 मत मिले थे. वर्ष 1991 के चुनाव में भी मीरा कुमार का सामना छेदी पासवान से हुआ. इस चुनाव में हार-जीत का अंतर तो कम हुआ पर जीत का सेहरा जनता दल के छेदी पासवान के सिर ही बंधा. 22562 मतों से जीते छेदी को 210823 और मीरा को 188261 वोट मिले. वर्ष 1996 के चुनाव से इस सीट पर नया अध्याय शुरू हुआ और शिवेश के पिता स्व मुनी लाल ने पहली बार सासाराम सीट पर भाजपा का कमल खिलाया था, तब उन्होंने जनता दल के छेदी पासवान को 53633 मतों से हराया था. मुनि लाल को 282075 और छेदी पासवान को 210823 वोटरों ने पसंद किया था. इसके बाद 1998 और 1999 के चुनावों में भी मुनि लाल ने यहां से भाजपा का परचम लहराया. इन दोनों चुनावों में मुनि लाल ने राजद के रामकेशी भारती को शिकस्त दी थी. वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस की मीरा कुमार ने मुनि लाल को जीत का चौका लगाने से रोक दिया. मीरा कुमार ने इस चुनाव में बंपर 258262 मतों से जीत का खाता खोला. उन्हें 416673 मत मिले, जबकि मुनि लाल को 158411 मतों से ही संतोष करना पड़ा. वर्ष 2009 के चुनाव में भी मुनि लाल कांग्रेस की मीरा कुमार से चुनाव हार गये. वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा की फिर पुर्नवापसी हुई जो वर्ष 2019 में भी बरकरार रहा. इस सीट पर चुनाव प्रचार अंतिम दौर में है. आगामी एक जून को वोट की चोट यह तय करेगा कि भाजपा की जीत की हैट्रिक लगेगी या कांग्रेस को अपना गढ़ मिलेगा या बसपा चौंकायेगी. लोगों को मुंडेश्वरी रेल लाइन का इंतजार सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपने दल के चुनावी एजेंडे पर बात कर रहे हैं, लेकिन यहां के लोगों के बीच मुंडेश्वरी रेल लाइन का निर्माण भी मुद्दा बनता जा रहा है. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था. अधिवक्ता मंटू पांडेय कहते हैं कि भभुआ रोड स्टेशन से मां मुंडेश्वरी धाम तक रेल लाइन के निर्माण की परियोजना सालों से अधर में लटकी है. आंकड़ों में सासाराम लोकसभा क्षेत्र कुल मतदाता 1904173 पुरुष मतदाता 989822 महिला मतदाता 909902 मतदान केंद्र 2036
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