भभुआ सदर. गर्मी बढ़ते ही शहरी क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में भूजल स्तर नीचे जाने से पेयजल की समस्या उत्पन्न होने लगी है. शहर में गाड़े गये ज्यादातर चापाकलों से सांय-सांय की आवाज आने लगी है. जबकि, अधिकतर जगहों पर चापाकल बंद होने के कगार पर पहुंच गये हैं. लोगों का कहना हैं कि अभी पानी का लेयर पांच से 10 फुट नीचे चला गया हैं, जो आगे और बढ़ सकता है. वैसे देखा जाये तो जिले के भभुआ शहर में जलस्तर का काफी उतार चढ़ाव है. इसीलिए कही-कहीं महज 30-35 फुट पर भी पानी निकल जाता है, तो कही 200 फुट पर भी पानी नहीं मिलता है. ऐसे में पेयजल की व्यवस्था कर पाना सबके बस की बात नहीं है. विभागीय जानकारी के अनुसार, पेयजल आमजन को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए भभुआ शहर में ही अनुमानित हिसाब से लगभग 40 लीटर जल की आवश्यकता प्रति व्यक्ति होती है. विभागीय दावों को मानें तो 250 व्यक्ति पर एक चापाकल काफी है, जबकि भभुआ की जनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार एक लाख के आसपास है. यहां विभाग द्वारा लगाये गये चापाकलों से जनसंख्या के पांच गुना लोगों को भी पानी आसानी से मुहैया कराया जा सकता है. जबकि, हालत यह है कि शहर में लगे अधिकतर चापाकल खराब हो चुके हैं, जो पेयजल उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं हैं. हालांकि, शहर में नलजल से पानी की सप्लाई की जा रही है, लेकिन अधिकतर वार्डों में भूजल स्तर में गिरावट के कारण पेयजल संकट की गंभीर स्थिति उत्पन्न होने लगी है. वहीं, दुखद यह है कि नगर पर्षद व जिला प्रशासन इस समस्या के प्रति उदासीन है. पूर्व अभियंता रमेश प्रसाद सिंह के अनुसार, शहर के दक्षिणी भाग विशेषकर वार्ड संख्या 14, 15, 19, 23, 25 के शहरी इलाकों में जलस्तर में गिरावट अभी से तेज हो गयी है. अन्य इलाकों में भी जलस्तर तेजी से गिर रहा है, यदि समय रहते उचित उपाय नहीं किये गये, तो इस गर्मी में शहरवासियों को गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा. = बड़े पैमाने पर शहर में भूजल का हो रहा दोहन शहर में भूजल का व्यावसायिक दोहन तेजी से हो रहा है. जरूरत से ज्यादा पानी जमीन से निकाल कर बर्बाद किया जा रहा है. बोतलबंद पानी के कारोबारी हों या वाहन सर्विसिंग सेंटर चलाने वाले, ये सभी काफी मात्रा में पानी बर्बाद कर देते हैं. उसकी तुलना में भूजल स्तर रिचार्ज करने की कोई व्यवस्था नहीं है. शहर में इसके जो प्राकृतिक स्रोत (कुआं, तालाब व पोखर) थे, वे भी दिन-प्रतिदिन खत्म होते जा रहे. हालांकि, नगर पर्षद इस हालात से अवगत है और वह पानी का दोहन रोकने की बात तो कर रहा, लेकिन इसके लिए कोई कदम नहीं उठा रहा. = इन उपायों पर देना पड़ेगा सभी को ध्यान पर्यावरण संरक्षण अभियान से जुड़े समाजसेवी रवि अग्रवाल, हरिशंकर तिवारी के अनुसार, जल संकट की ओर बढ़ रहे शहर को समस्या से बचाने के लिए इन उपायों पर ध्यान देना होगा. इसमे मुख्य रूप से वर्षा जल के संचयन सहित प्राकृतिक जलस्रोतों कुआं, तालाब व पोखरों का जीर्णोद्धार कराना, बहुमंजिले भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य करना, शहर से निकलने वाले गंदे पानी के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर उसका इस्तेमाल अन्य कार्यों में करना, बारिश के पानी का समुचित प्रबंधन कर उसका लाभ उठाना और हर स्तर पर पानी का अपव्यय रोकना होगा. = पेयजल संकट के प्रमुख कारण – अनियमित वर्षा के कारण पानी की कमी – उपलब्ध पानी का सही और उचित उपयोग न हो पाना – जमीन के भीतर पानी का पुर्नभरण (रिचार्ज) न किया जाना – जमीन के अंदर से अत्यधिक पानी निकालना – शहरों में तेजी से बढ़ता जल प्रदूषण
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