भभुआ सदर. देशभर में एक जुलाई 2024 से प्रभावी होने वाले तीन नये आपराधिक कानून को लेकर जिले के पुलिस पदाधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू हो गया है. सोमवार को शहर के लिच्छवी भवन में तीन दिवसीय यह प्रशिक्षण हाइब्रिड मोड़ में सत्रवार शुरू हुआ है. इसके लिए डिजिटल मोड़ में राज्य पुलिस मुख्यालय की ओर से इस प्रशिक्षण को दिया जा रहा है. इसका उद्देश्य दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर अग्रसर करना है. प्रशिक्षण सत्र में सोमवार को एसपी ललित मोहन शर्मा, एसडीपीओ भभुआ शिवशंकर कुमार सहित सभी पुलिस पदाधिकारी शामिल हुए. गौरतलब है कि देश में वर्षों पुराने कानूनों को एक नये रूप में लागू किया जा रहा है और एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के माध्यम से एक नये युग की शुरुआत होगी. इन तीन नये प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है. जैसे साइबर अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि पुराने कानूनों में साइबर अपराधों के लिए कोई प्रावधान नहीं था. नये कानून में इसके लिए व्यवस्था की गयी है. इन नये कानूनों में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ ही फॉरेंसिक लैब की स्थापना पर बल दिया गया है. इन कानूनों में इ-रिकॉर्ड का प्रावधान किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जीरो एफआइआर, इ-एफआइआर और चार्जशीट डिजिटल होंगे. इसके अलावा पीड़ित को 90 दिनों के भीतर सूचना प्रदान की जायेगी और सात साल या उससे अधिक की सजा के प्रावधान वाले मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य होगी. वहीं, राजद्रोह कानून की जगह देशद्रोह को परिभाषित किया गया है. इसमें आतंकवाद से जुड़े मामलों में मृत्युदंड या आजीवन कारावास तक का प्रावधान है. एसपी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि इन नये कानूनों के तहत थाने से कोर्ट तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. इसके अंतर्गत देश में एक ऐसी न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी, जिसके जरिए तीन वर्षों के भीतर न्याय मिल सकेगा. इसके लिए 35 धाराओं में न्याय प्रक्रिया का समय सीमा निर्धारित किया गया है और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर एफआइआर दर्ज करने का प्रावधान है, साथ ही यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है