भभुआ सदर. रविवार को श्रद्धा-आस्था और विश्वास के साथ शहर में अक्षय नवमी का पर्व मनाया गया. इस दौरान जगह-जगह आंवला के वृक्ष के नीचे पूजन कर सात्विक भोजन ग्रहण किया गया. हालांकि, मान्यता अनुसार रविवार को आंवला पेड़ के नीचे खाना नहीं खाने की परंपरा के चलते कई लोग पूजा और प्रसाद नहीं ग्रहण कर सके. गौरतलब है कि यह आयोजन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष नवमी को आयोजित होता है. अक्षय नवमी के अवसर पर रविवार को आंवला के वृक्ष की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए भगवान विष्णु से धन-धान्य की कामना की गयी. इस अक्षय नवमी की पूजा में भारी संख्या में महिलाओं तथा युवतियों ने हिस्सा लिया. इस अवसर पर आंवला के वृक्ष के पास महिलाएं जुटीं और वहां विशेष पूजा अर्चना के बाद आंवला वृक्ष के पास ही शुद्ध सात्विक भोजन बनाया गया, जिसे महिला, पुरुषों व बच्चों ने प्रसाद के रूप में खाया गया. साथ ही अक्षय नवमी पर शहर में प्रसाद वितरित भी किया गया. इस अवसर पर अक्षय नवमी का विशेष पाठ भी किया गया. अक्षय नवमी के पाठ का श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुई. शहर के बाइपास रोड, सुवरन नदी किनारे, महिला कॉलेज के पीछे स्थित पुराने आंवले वृक्ष के पास समूचे शहर के विभिन्न मुहल्लों के महिलाओं ने पूजा-अर्चना की. इस अवसर पर कुष्मांडा दान भी किया गया. इस दान की पुरानी परंपरा के तहत महिलाएं भुआ में द्रव्य छिपाकर ब्राह्मण को दान किया. आंवला वृक्ष के नीचे प्रसाद के रूप में खीर-पूरी, खिचड़ी पकाई गयी. आचार्य उपेंद्र तिवारी ने बताया कि कार्तिक के नवमी को आंवला के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. उन्होंने बताया कि आज के दिन सच्चे मन से ईश्वर से जो भी मांगा जाता है उसकी पूर्ति होती है. उन्होंने बताया कि आंवले के फल को अमृत के समान माना गया है और आंवला के वृक्ष को सृष्टि के रचयिता भगवान विष्णु का भी रूप भी माना जाता है.
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