प्रतिनिधि, भभुआ. मनरेगा योजना में मजदूरी भुगतान को लेकर मजदूरों ने 12 वर्षों तक लंबी लड़ाई लड़ी. इसके बाद सरकार के हस्तक्षेप पर मनरेगा लोकपाल कैमूर के अदालती फैसले पर अब अप्रैल वर्ष 2024 में मजदूरों के बकाया मजदूरी का भुगतान कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार, रामगढ़ प्रखंड की अहिवास पंचायत में वर्ष 2012 में मनरेगा से किसी आहर या पइन के मिट्टी की खुदाई का काम कराया जा रहा था, जिसमें अहिवास गांव के ही जयप्रकाश राम, जीतन राम और नंदू राम भी अन्य मजदूरों के साथ काम किये थे, लेकिन इन मजदूरों के अनुसार 16 दिन काम होने के बाद उनके मजदूरी का पूरा भुगतान नहीं किया गया. इसे लेकर मजदूरों ने अहिवास पंचायत के पंचायत रोजगार सेवक, कार्यक्रम पदाधिकारी व अन्य से भी मजदूरी भुगतान कराने की गुहार लगायी गयी. बावजूद इसके उनके बकाया मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया. इसके बाद इन मजदूरों द्वारा श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी रामगढ़ के कार्यालय में मजदूरी भुगतान कराने का परिवाद दायर किया गया. इसमें तत्कालीन पंचायत रोजगार सेवक और कार्यक्रम पदाधिकारी को विपक्षी बनाया गया था. इसके बाद श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी कार्यालय से यह मामला वर्ष 2013 में न्यूनतम मजदूरी के सहायक आयुक्त डालिमिया नगर डिहरी को रेफर कर दिया गया. वहां से इन मजदूरों को क्षतिपूर्ति के साथ मजदूरी भुगतान कराये जाने की अनुशंसा से सहायक आयुक्त द्वारा यह मामला श्रम संसाधन विभाग बिहार सरकार को भेज दिया गया. इसके बाद इस मामले को प्रधान सचिव श्रम संसाधन विभाग बिहार सरकार द्वारा विधि विभाग से परामर्श के बाद मजदूरों के बकाया मजदूरी भुगतान कराने को लेकर मनरेगा लोकपाल कैमूर को निर्देशित किया गया. इधर, इस संबंध में मनरेगा लोकपाल कैमूर राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस पूरे मामले में दोनों पक्षों के सुनवाई के बाद समझौता के आधार पर मजदूरों के मजदूरी भुगतान कराने का निर्देश दिया गया है. इसके आलोक में मनरेगा से इन मजदूरों के बकाया मजदूरी का भुगतान अप्रैल 2024 में कर दिया गया. इन्सेट मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति के बाद मजदूरों को मिली राहत भभुआ. जिले में पिछले दो वर्षों से मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति के बाद मजदूरों को मनरेगा से संबंधित मजदूरी भुगतान या अन्य मामलों में काफी राहत मिली है. इसके पहले कभी मनरेगा लोकपाल के पद पर कैमूर में कोई प्रतिनियुक्ति की गयी थी. इससे मजदूरी भुगतान आदि के मामलों की सुनवाई ठीक से नहीं हो पाती थी और मजदूर अपने मजदूरी भुगतान के मामले को लेकर भटकते रहते थे. वर्तमान मनरेगा लोकपाल राजेश श्रीवास्तव का यह तीसरा वर्ष चल रहा है और अपने कार्यकाल में उन्होंने तमाम मजदूरों के मजदूरी संबंधित तथा मनरेगा से संबंधित अन्य विवादों का निबटारा किया है. नतीजा है आये दिन मनरेगा लोकपाल की अदालत में कभी पौधारोपण अभियान में वन पोषकों को मजदूरी भुगतान नहीं किये जाने, तो कहीं मनरेगा से बने पशु शेड का भुगतान नहीं किये जाने, तो कहीं मजदूरों के बजाय जेसीबी से काम कराने आदि की शिकायतें पहुंचती रहती हैं.
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