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15 साल की लंबी लड़ाई के बाद मजदूरों के मजदूरी का हुआ भुगतान

मनरेगा योजना में मजदूरी भुगतान को लेकर मजदूरों ने 15 वर्षों तक लंबी लड़ाई लड़ी. इसके बाद सरकार के हस्तक्षेप पर मनरेगा लोकपाल के अदालती फैसले पर अब 2024 में मजदूरों के बकाया मजदूरी का भुगतान कर दिया गया है.

भभुआ. मनरेगा योजना में मजदूरी भुगतान को लेकर मजदूरों ने 15 वर्षों तक लंबी लड़ाई लड़ी. इसके बाद सरकार के हस्तक्षेप पर मनरेगा लोकपाल के अदालती फैसले पर अब 2024 में मजदूरों के बकाया मजदूरी का भुगतान कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार, दुर्गावती प्रखंड वर्ष 2009 में मनरेगा से किसी आहर या पईन के मिट्टी की खुदाई का काम कराया जा रहा था. इसमें दुर्गावती प्रखंड के दिनेश राम, रामराज राम, मारकंडे राम, शशि राम, सत्येन्द्र राम, मदन राम, सुजीत राम तथा सुदामा राम ने जयप्रकाश राम काम किये थे. लेकिन इन मजदूरों के अनुसार 23 फरवरी 2009 से लेकर 28 मार्च 2009 तक किये गये काम उनके 30 दिनों की बकाया मजदूरी तत्कालीन पंचायत सचिव वकील पासवान द्वारा नहीं दिया गया. इसके बाद मजदूरी भुगतान को लेकर प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थके मजदूरों ने श्रम प्रवर्तन अधिकारी डालमिया नगर तक गुहार लगायी, लेकिन उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं हो सका. जबकि, इस मामले में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी तथा निरीक्षक द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत कुल बकाया राशि 18 हजार 834 रुपये दर्शाया गया था, जिसके बाद इन मजदूरों ने प्रधान सचिव, श्रम संसाधन विभाग बिहार सरकार के पास मजदूरी भुगतान कराने की गुहार लगायी. वहां से सरकार द्वारा निर्देशित किया गया कि सहायक श्रम आयुक्त के न्यायालय मनरेगा के दावा आपत्ति से जुडे लंबित मामलों को मनरेगा लोकपाल की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है. इस आलोक में वर्ष 2024 में मनरेगा लोकपाल कैमूर राजेश कुमार श्रीवास्तव की अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू की गयी. इधर, इस संबंध में मनरेगा लोकपाल राजेश कुमार ने बताया कि इस संबंध में पंचायत सचिव को कई बार परिवाद की सुनवाई में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किया गया. लेकिन पंचायत सचिव द्वारा बाद में उपस्थित होने का समय मांगा गया. इस बीच लगातार नोटिस जारी करने के क्रम में ही पंचायत सचिव वकील पासवान द्वारा मजदूरों को बकाया मजदूरी का भुगतान कर दिया गया. भुगतान करने के बाद पंचायत सचिव भुगतान किये जाने के आशय का पत्र लोकपाल की अदालत में दिया गया. मामले में मजदूरों से तहकीकात किये जाने पर मजदूरों द्वारा भी लोकपाल की अदालत में मजदूरी प्राप्त कर लिये जाने का लिखित आवेदन दे दिया गया है. इस आलोक में परिवाद को समाप्त कर दिया गया है.

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