– श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी हैं भीड. पंच एकड़ में लगता हैं भव्य मेला – एतिहासिक गंगा दार्जलिंग सड़क पर अवस्थित हैं भव्य मंदिर बरारी प्रखंड के बरारी हाट स्थित अति प्राचीन भगवती मंदिर में दशकों से मनोकामना की पूर्ण होने पर श्रद्धालु असीम महत्ता के साथ माता के दरबार में चढ़ावा चढ़ाते हैं. आपरूपी माता की महत्ता अनंत एवं अपरमपार है. मान्यता हैं कि भक्तजन कभी खाली हाथ नहीं लौटते. मंदिर के मुख्य पुजारी पुरुषोत्तम झा बताते हैं कि गुरुवार को माता के दरबार में पहली पूजा को संकल्प पूजा कर कलश स्थापन एवं सभी देवी देवताओं का पूजन, सम्पूर्ण पाठ, आवेद्य पाठ तेरह अध्याय का पाठ पूर्ण किया गया. सम्पूर्ण पाठ तेरह अध्याय का मूल मंत्र से बांधना है. छह दिवस तक पूजा होती रहेगी. सप्तमी को नवपत्रिका स्थापन कर , महास्नान एवं पूजा आराधना होगी. अष्टमी का पूजन सप्तमी को ही होना है. नौंवी को पूजा आरंभ होकर जो अष्टमी एवं नौवी की संधि पूजा होगी. दशमी को पूजा एवं कलश विसर्जन में अपार भीड़ देर संध्या तक विसर्जन में नव पत्रिका का स्पर्श करने को श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा उमड़ पड़ती है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर कमेटी एवं कार्यकर्ता के साथ पुलिस बल की तैनाती रहेगी. मुख्य पुजारी बताते हैं कि विसर्जन माता के आदेश यानि फुलायस से होता है. फुलायस जिस दिशा में होता है उसी दिशा में विसर्जन की प्रक्रिया वेदोमंत्रोच्चारण के साथ पूर्ण किया जाता है. श्री भगवती मंदिर न्यास समिति बरारी के पदेन अध्यक्ष सह अंचल पदाधिकारी होते है. समिति के सचिव विश्वदीपक भगवती उर्फ पंकज यादव, उपसचिव धनजीत यादव, कोषाध्यक्ष मुकेश कुमार झा, उपाध्यक्ष कौशल किशोर यादव, सदस्य सगरी यादव, संदीप यादव, विनोद भारती, दीवाकर ठाकुर, सहयोगी पुजारी बबलू झा, राजेश बाबा, निर्भय झा, प्रभाष झा, नवरात्री दशहरा पूजा को लेकर तैयारी में जुटे हैं. मंदिर समिति के धनजीत यादव बताते हैं कि पांच एकड़ में भव्य मेला का आयोजन की तैयारी की जा रही है. राज्य की राजधानी पटना से कई तरह का झूला एवं दुकाने आकर सजनी शुरू हो गई है. प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष दशहरा में बेहतर व्यवस्था की जा रही है. श्री भगवती मंदिर एतिहासिक गंगा दार्जलिंग सड़क पर अवस्थित है. मंदिर के सामने गंगा दार्जलिंग सड़क सामने शेरशाह सुरी का बनाया कुंआ भी हैं. जो उस समय लोग कुंआ का पानी पीने के लिए इस्तेमाल होता था. सराय भी थी जहां राहगीर विश्राम करते थे. इस कुंआ को अतिक्रमण करने से अस्तित्व हीं मिट सकता है.
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