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कारी कोसी के जलस्तर बढ़ने से मुख्य सड़क से संपर्क टूटा

जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं ग्रामीण

कोढ़ा. सरकार भले ही विकास का लाख दावे कर ले पर यह जोखिम भरा तस्वीर विकास की सारे दावों की पोल खोलती हुई नजर आ रही है. बावजूद इसके सिस्टम हरकत में नहीं आ रही है. जिस तरह से लोग जान को जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं वह बयां करने के लिए तस्वीरों को शब्दों की दरकार नहीं है. जरूरत है प्रशासन को नजरे इनायत करने की. जी हां यह तस्वीर कोढ़ा प्रखंड व बरारी प्रखंड के बीचों-बीच मधुरा गांव के निकट हो रहे पुल निर्माण के समीप की है. जिले के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के मधुरा गांव के समीप जो बरारी के सीमा को भी छूता है. वहां जनहित के मद्देनजर कोलासी से सेमापुर जाने वाली पथ में बरारी विधानसभा के बीचों-बीच मधुरा ग्राम के नजदीक पुल का निर्माण कार्य करीब तीन माह पूर्व शुरू हुआ था. पर इस अवधि में एक भी पाया का निर्माण नहीं हो पाया. इसी दौरान मानसून के प्रवेश के साथ मूसलाधार बारिश के बाद कारी कोशी नदी में जल स्तर बढ़ने लगा. जिस कारण संवेदक काम छोड़कर भाग निकले. पुल निर्माण कार्य से पहले आवागमन के मद्देनजर कार्य स्थल के समीप अगर ऊंची करके डायवर्सन का निर्माण कर दिया जाता तो आम लोगों को आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता. पर डायवर्सन के निर्माण नहीं होने के कारण राहगीरों को जान जोखिम में डालकर आर पार गुजरना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि यहां प्रत्येक दिन आवागमन के दौरान पैदल यात्री फिर बाइक चालक बाइक लेकर पानी में गिर जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि हमलोग अपनी जान को खतरे में डालकर आवाजाही करते हैं. आवाजाही के दौरान हमेशा डर लगा रहता है कि आवागमन के दौरान हम लोगों के साथ कोई अनहोनी घटना न घट जाये. ग्रामीणों ने कहा कि यहां पहले पुल था. पुल की स्थिति काफी जर्जर होने के कारण विभाग व सरकार के द्वारा यहां नया पुल बनाने की बात हुई और पुरानी पुल को तोड़कर नया पुल बनाया जा रहा है. पुल निर्माण से पूर्व डायवर्सन का निर्माण नहीं किया गया. जिस कारण हम लोगों को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. राहगीरों के कष्ट को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा बांस व लकड़ी के पटरा से आवागमन तो कराया जा रहा है. इस प्रकार का आवाजाही जोखिम से खाली नहीं है. जबकि कारी कोसी नदी में और अगर पानी की बढ़ोतरी होती है तो आवागमन पूरी तरह अवरुद्ध हो जायेगी. ग्रामीणों का कहना था कि कार्य स्थल के समीप अगर डायवर्सन का सही ढंग से निर्माण कर दिया जाता तो इस बरसात में आवागमन में आसानी होती. आवागमन का अवरुद्ध हो जाने के बाद जहां मुख्य सड़क से संपर्क टूट गया है. राहगीरों व ग्रामीणों के बीच अफरा तफरी का आलम मचा हुआ है. वर्तमान में भले ही पैदल यात्री व बाइक को किसी प्रकार टपा दिया जाता है. पर उक्त पथ से अन्य किसी प्रकार का छोटा या बड़ा वाहन अभी वर्तमान में गुजरना बंद हो गया है. अगर बारिश के बाद अगर जलस्तर में और बढ़ोतरी होती है तो यह पटरा भी कोई काम नहीं आयेगा. ऐसे में आम लोगों को एकमात्र नाव ही सहारा बचता है और यहां अभी वर्तमान में नाव भी नहीं है. इसलिए ग्रामीणों ने नाव उपलब्ध कराने की मांग की है. ताकि लोगों को आवाजाही करने में कुछ हद तक सुविधा मिल सकें.

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