कटिहार. मानसून की बारिश व नेपाल से छोड़े जा रहे पानी की वजह से उत्तरी बिहार में कई नदियां उफान पर है. महानंदा नदी भी रौद्र रूप में है. कटिहार के कई स्थानों पर महानंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. पिछले दिनों में महानंदा के जलस्तर में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है. गंगा, कोसी आदि नदियों के पानी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में बांध के भीतर बसे गांव के लोगों को बाढ़ की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. तटवर्ती इलाकों के ग्रामीण बाढ़ व कटाव की आशंका से सशंकित हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद तारिक अनवर ने जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से इस आशय की जानकारी देते हुए कहा है कि हमें राहत वितरण से आपदा प्रबंधन की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. ताकि जीवन और संपत्ति को बचाने और विकास को सुरक्षित रखने के लिए आपदा न्यूनीकरण हो सके. यह जानकारी कांग्रेस प्रवक्ता पंकज तमाखूवाला ने बुधवार को दी है. सांसद डीएम को लिखे पत्र में कहा है कि मीडिया रिपोर्ट्स और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के माध्यम से सूचना प्राप्त हो रही है कि प्राणपुर प्रखंड के क्षेत्र में कई स्थानों पर कटाव तेज हो गया है. कटाव की चपेट में आने से कृषि योग्य जमीन नदी में समा रही है. प्राणपुर प्रखंड के इंग्लिश, भगत टोला, जलला हरीरामपुर, शाहनगर मुखिया ढलान आदि गांवों के दर्जनों किसानों की खेती योग्य जमीन कट चुकी है. आजमनगर प्रखंड के आजमनगर, आलमपुर, अरिहाना, हरनागर, बैरिया, सिंघौल, केलाबाड़ी, मर्बतपुर व चौलहर पंचायत के दर्जनों गांव बांध के भीतर बसे हुए हैं. उन्हें आश्रय स्थल की जरूरत है. इस पत्र के माध्यम से कहा है कि राहत व बचाव कार्य के लिए एसडीआरएफ व एनडीआरएफ टीम की आपदा पूर्व तैयारी की जाय. बाढ़ प्रभावित जनसंख्या के लिए आपदा राहत शिविर, सामुदायिक किचन के माध्यम से गीला राशन तथा सूखा राशन वितरण का कार्य हो. बाढ़ आश्रय स्थल बनाया जाय. बूढ़े-बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे, दिव्यांगों के इलाज के लिए मेडिकल टीम के माध्यम से चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जाय. बाढ़ से प्रभावित पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था सुनिश्चित हो. अधिकारियों को आपदा प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण करने तथा जनता से मिल रही शिकायतों का अविलंब निपटारा करने की व्यवस्था होनी चाहिए. फ्लड कंट्रोल रूम बनाया जाय तथा हेल्पलाइन नंबर का प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाय. उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों के दौरान बाढ़ की आवृति के आधार पर प्राणपुर, समेली, कुर्सेला, बरारी, मनिहारी, अमदाबाद, कदवा जैसे प्रखंड अतिसंवेदनशील श्रेणी में आते हैं.
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